पापी प्राण नी जाय सुरो जिव रे संसार म
मुझसे रयो नी जाय हिवड़ो फाट्यो रे म्हारो हरी बिना
कार्तिक मास भलो लगियो मोका गया दिनानाथ
रुदन करे रानी राधिका
नेत्र असुवन धार
मांगसिर मास माने नही म्हारा मोहन लाल
आरु बिच छोड़ी गया एकली
तुम बिन रयो नी जाय
पोष मास पोष्या नही पोष्या हुंड्डी वो दाग
सेज नई सुनी हो पड़ी
सुनो सोलह रे सिन्गार
माह रे मास म्हारो राजनो जेकी लीला छे खैर
मुखड़ो होणु रे मोहन लाल को
रजनी उबी रे द्वार
फागुन मास केशव फुलिया फुलिया कमल रो फुल
हिवड़ो जळ रे म्हारो होली सो
किनसे कहु रे वसंत
चैत मास चैत्या नही वोड़ी लिया हो चीर
केम तो थारो जाधव बिना
म्हारो सोनेरो शरीर
बैसाख---------
जेष्ठ मास रोयणी तपे जेका छिना छे बोल
कोयल बोल वो सुहावणी
आरु बोल छे मोर
आसाड़ मास भलो लागियो धमकी न बरस मेघ
पूर्व से उठी काळई बादळी
न बरसे अखंड धार
सावन मास सुहावणो गोपी रमी रही रास
सात सहेली को यो झुमको
नदियाँ न्हावे छे तीर
भादव मास बरखा घणी मेंडक रही टर्राय
नदी हो नर्बदा पुर घणी
सागर करे हो किलोल
कुवर मास म्हारा कानाजी गोपी न रमी रही रास
बारह मास पूरा हो भया
आन नव दुर्गा की रात
Thursday, 28 March 2019
पापी प्राण नी जाय
देवो न बंसी हमारी राधिका
देवो न बंसी हमारी राधिका किन म्हारी बंसी चुराई हो
जल जमुना हमन रस रचायो वहा जल भरवाने आई हो
सात सखी न झुला हो झूले
वहा म्हारी बंसी चुराई हो
लाल चुन्दड़ नत बेसर सोहे कनौ कुण्डल माला हो
हिवड़ो में हार मोतियन को झुमको
उन म्हारी बंसी चुराई हो
लाल का उठना उठी जावो सोहे अंग फूलन चोली
जिनका हो नाम राधिका जी हो कहिये
ब्रज की भान दुलारी हो
इत गोकुल उत मथुरा नगरी जमुना बहे बिच भारी
तुलसीदास प्रभु हरी चरणों में
राधे न बंसी चुराई
दूर रहो नंदलाला पनघट रोक खड़े
दूर रहो नंदलाला पनघट रोक खड़े खड़े
आरे ग्वालन चली जल भरवा सिर सोना घड़ा भरे भरे
आरे छोटी ननदुळ संग में घर मोरी सास लड़े लड़े
आरे चुन्दड़ मोरी चमके चोमळ रत जड़े जड़े
आरे पत्ता तोड़ी न कदम का पेवो ते दूध दही दही
आरे ग्वालन तेरी कृपा से मोरे घर दूध दही दही
बाण मारीया मदन धरणी पर जाय गिरे गिरे
आरे दन्तन पर मिसी भखँर का भाँग चड़े चड़े
शरण आये सदा से प्रेम का फुल खिले खिले
Monday, 25 March 2019
चुन्दड़ी नो सिनगार हलो
चुन्दड़ी नो सिनगार हलो न प्रभु जी म्हारो हालरो
राधे जी पाणी क नीसरिया खुटी म टाग्यों छे हार
पाणी लई न पछा आविया
खुटी नही मिल्यो हार
देख्यो पड़ोसेन म्हारो हालरो देख्यो होय तो बताव
हमन देख्यो राधा हालरो
लईगा कृष्ण मुरार
कृष्ण जी हालरो लाविया हालरो दियो दपड़ाय
घाघरी म हालरो दाबिया
कृष्ण नही रे बताय
नरस्यानुस्वामी न सावँरा अरे रुड़ा रास रमाय
हालरो देख्यो हो राधा हालरो
हमन दियो दपड़ाय
कामिनी बंसी बजाई मोहन न
कामिनी बंसी बजाई मोहन न
कायन की थारी बणी हो बासूरिया (वाला)
कायन बंध लगाया हो
हरा बांस की बणी हो बासूरिया
रेशम बंध लगाया हो
किन्न हो काटी बंसी किन्न हो घोटी
किन्न मुख लगाई हो
ग्वालिया ने काटी हो राधा ने घोटी(वाला)
कृष्ण ने मुख से लगाई हो
अम्बुवा की डाल पर कोयल जाई बैठी (वाला)
चलो सखी देवा उड़ाई हो
नरस्यानु स्वामी न अन्तरयामी
बाबा नन्द का घर बुलायो हो
आड़ा जड़िया किवाड़ सुंदर
आड़ा जड़िया किवाड़ सुंदर मुख बोले नही
ठग रे ठाकुर थारा आंगणा राधा महेल का माय
निकळो हो राधा गौरी बायरा
चलो रास का माय
झटक बिझायो काळो कमळो जा पर बठो म्हारा नाथ
हम पर मन मैळो राखजो
जाओ कुबजा नु द्वार
बिंद्रा हो बन की कुन्ज में मोहन बाग लगाय
चम्पा चमेली धवणो मोगरो
बिच लगई रे अनार
कृष्ण जी गया चम्पा बाग में लाया चम्पा नु फुल
एक एक फुलड़ा हो बाटिया
नही दिया राधे का हाथ
दूर की उठी रे काळई बादळी बिजळा होया रे आकाश
झिरमिर मेवलो बरसे
बरसे आखंड धार
घड़ेक तू सोई जारे नदेंडिया बाळ
घड़ेक तू सोई जारे नदेंडिया बाळ
आवत जावत झुलाणा देवा
आसी झुलणा दे थारी यशोदा माय
मकमुल को थारो अंगो सिलावा
आरे थारी टोपी लालम लाल
चंदन को थारो पालणो बणावा
आसा रेशम डोर लगावा
मकमूल की थारी टोपी सीलावा
बिच म हिरा लगावा चार
एक अरज मोरी मानो उद्धव जी
एक अरज मोरी मानो उद्धव जी
भादव अष्टमी आई हो
कायन केरा खम्ब रोप्या है खम्ब रोप्या है वाला
कायन लम्बा डोर जी
अगर चनन का खम्ब रोप्या हैं खम्ब रोप्या है वाला
रेशम लम्बा डोर हो
कायन केरा हो मंडप छाया मंडप छाया वाला
कायन लूम लगाया हो
नागर बेली पान का मंडप छाया मंडप छाया वाला
मोतियन लूम लगाया हो
नरस्यानु स्वामी अंतरयामी अंतरयामी वाला
रंग भरी रास रमाया हो
आरे कन्हा काँ रम्ई आया हो
आरे कन्हा काँ रम्ई आया हो
हरी न लिया हो हरी का बोलना
चार महिना चत्रमास का कान्हो गैया चरावे
हाथ लकड़ी पाव पावड़ी
मुख मुरली बजावे
श्याळा नि रात आविया कान्हो भीतर सोवे
आठ गोदड़ी न व सिरका
सोलह सगड़ी जलावे
उढाळा नि रात आविया कान्हो बाहेर सोवे
सोलह सौ गोपि का के बिच में
डुले पंख दुलावे
श्रावण में झुला हो झुलीया कान्हो झुला हो झूले
राधे जी झुला हो दई रया
रेशम डोर लगाया
भादव गहिर गम्भीर हैं काना मोहरा हो बोले
कान्हा न बंसी बजाविया
नाचे पंख खिरावे
Friday, 22 March 2019
जा पहुचेगा वो लोक बिंद्राबन
जा पहुचेगा वो लोक बिंद्राबन नरसिंग रास रचायो
पावन घुंघरू घम-घम बाजावे प्रेम मगन गुण गायो
ताल मिरदिंग शंख धुन बाजे विणा नाद बजायो
ताल मान सुरताल वेद अदभुत रूप दिखायो
भय वो प्रेम सब देव चकित उन मुनि ध्यान लगायो
हरी पूछे जब शिव से हसके सखा कहा से आयो
गड़ गुजरात निवास जुनागड़ नरसिंग नाम धरयो
शिव के वचन जब सुन करुणानिधि नरसिंग कन्ठ लगायो
विधि हरी जब दियो केदार नगरिया यश गायो
Saturday, 16 March 2019
वो हरी आवो रास विलास
वो हरी आवो रास विलास प्रभु रे लागीयो चित्र चौमास
थारा दर्शन की छे आस
शेष नांग मूल धरण रचायो
चंदन केरो खम्ब लगायो
रेशम लम्बो बंध लगाया
भवर कड़ी को जोड़ मिलाया
मंडल बिच रचीयो रास
गगन मण्डल गरजन लगीयो
गहरी ताल बजायो
36 राग बजाविया
56 करोड़ देवता बिराजे
बीती चलीयो भादव मास
हरी हिरकणी लूम लगाय
मशरूम तकिया बिछाय
चंदा सूरज ना दीपक लगाया
जेको वैकुण्ठ गयो प्रकाश
रास लीला म राधे हो श्याम
नर लीला म सीता हो राम
महादेव गवरा वैकुण्ठ धाम
थारा चरणों म रवा अन दास
Friday, 15 March 2019
रास मंडल भावे लालजी को
रास मंडल भावे लालजी को रास मंडल भावे
और कछु नही भवे लालजी को रास मंडल भावे
मनचित मुरली मुख धरी मोहन 36 राग सुनावे
व्याकुल भई वो सकल ब्रज बलीता
गर्द भवन तजी आई
मै पतिव्रता तेरी रे मोहन ओर पुरुष नही भवे
अपणा पति को तजा हो महल में
फुल वंती बणी आई
या बंसी म्हारी रंग सुरभि मोहन मणी को दोष लगावे
या बंसी म्हारी सदा बाजती
यो कीन दोष लगावे
बैठ बिमाण इन्द्र इन्द्राणी हरी दर्शन को जावे
जोड़ी हो निरखि श्यामसुन्दर की
विणा नाद सुनावे
ठाड़्यो महादेव मीरदिंग बजावे नारद जन्तर बजावे
रुमझुम -2 सरस्वती नाचे
नर वरणी गण भावे
Thursday, 14 March 2019
सुंदर बाळ खेलाव यशोदा मैया
सुंदर बाळ खेलाव यशोदा मैया
आठ मास बाळो गर्भा म रहियो
नवमा म लियो आवतार
नह्वाडियो धोवाडियो बाळो आंगणा सोवाडियो
काजल तिलक लगावे
ऊँगली पकड़ बाळो आंगणा म लायो
ठुमुक-2 नाच नचावे
कईकी हो रांड की नजरा हो लागी
मुठ्ठी मुठ्ठी लोण वरावे
नरस्यनु स्वामी न अन्तरयामी
थाळई म चाँद दिखावे
Tuesday, 12 March 2019
रंगरेज रंगीला जुवान चुन्दड
रंगरेज रंगीला जुवान चुन्दड म्हारी रंग दिजे
रंग दिजे रे नन्दजी का लाल चुन्दड म्हारी रंग दिजे
यारे चुन्दड कुण वैड़ती न म्हारा वाला रे
आसो कुण चुकावे दाम - चुन्दड म्हारी रंग दिजे
यारे चुन्दड राधा वैड़ती न म्हारा वाला रे
आसो कृष्ण चुकावे दाम - चुन्दड म्हारी रंग दिजे
पैरी वड़ी न राधा निसरी न म्हार वाला रे
आसी नकळई ते शहर बाजार - चुन्दड म्हारी रंग दिजे
नरस्या नु स्वामी न सावरा न म्हारा वाला रे
आसो रंग भरी रास रमाय - चुन्दड म्हारी रंग दिजे