Thursday, 28 March 2019

पापी प्राण नी जाय

पापी प्राण नी जाय सुरो जिव रे संसार म
मुझसे रयो नी जाय हिवड़ो फाट्यो रे म्हारो हरी बिना
कार्तिक मास भलो लगियो मोका गया दिनानाथ
रुदन करे रानी राधिका
नेत्र असुवन धार
मांगसिर मास माने नही म्हारा मोहन लाल
आरु बिच छोड़ी गया एकली
तुम बिन रयो नी जाय
पोष मास पोष्या नही पोष्या हुंड्डी वो दाग
सेज नई सुनी हो पड़ी
सुनो सोलह रे सिन्गार
माह रे मास म्हारो राजनो जेकी लीला छे खैर
मुखड़ो होणु रे मोहन लाल को
रजनी उबी रे द्वार
फागुन मास केशव फुलिया फुलिया कमल रो फुल
हिवड़ो जळ रे म्हारो होली सो
किनसे कहु रे वसंत
चैत मास चैत्या नही वोड़ी लिया हो चीर
केम तो थारो जाधव बिना
म्हारो सोनेरो शरीर
बैसाख---------
जेष्ठ मास रोयणी तपे जेका छिना छे बोल
कोयल बोल वो सुहावणी
आरु बोल छे मोर
आसाड़ मास भलो लागियो धमकी न बरस मेघ
पूर्व से उठी काळई बादळी
न बरसे अखंड धार
सावन मास सुहावणो गोपी रमी रही रास
सात सहेली को यो झुमको
नदियाँ न्हावे छे तीर
भादव मास बरखा घणी मेंडक रही टर्राय
नदी हो नर्बदा पुर घणी
सागर करे हो किलोल
कुवर मास म्हारा कानाजी गोपी न रमी रही रास
बारह मास पूरा हो भया
आन नव दुर्गा की रात

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