देवो न बंसी हमारी राधिका किन म्हारी बंसी चुराई हो
जल जमुना हमन रस रचायो वहा जल भरवाने आई हो
सात सखी न झुला हो झूले
वहा म्हारी बंसी चुराई हो
लाल चुन्दड़ नत बेसर सोहे कनौ कुण्डल माला हो
हिवड़ो में हार मोतियन को झुमको
उन म्हारी बंसी चुराई हो
लाल का उठना उठी जावो सोहे अंग फूलन चोली
जिनका हो नाम राधिका जी हो कहिये
ब्रज की भान दुलारी हो
इत गोकुल उत मथुरा नगरी जमुना बहे बिच भारी
तुलसीदास प्रभु हरी चरणों में
राधे न बंसी चुराई
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