Wednesday, 14 October 2020

विघण हरण गणराज है

विघण हरण गणराज है, शंकर सुत देवाँ

कोट विघन टल जाएगाँ, हारे गणपति गुण गायाँ

शीव की गादी सुनरियाँ, ब्रम्हा ने बणायाँ

हरि हिरदें में तुम लावियाँ, सरस्वति गुण गायाँ

संकट मोचन घर दयाल है, खुद करु रे बँड़ाई

नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है, गुण शब्द की दाँसी

गण सुमरे कारज करे, लावे लखं आऊ माथ

भक्ति मन आरज करे, राखो शब्द की लाज

रीधी सीधी रे गुरु संगम, चरणो की दासी

चार मुल जिनके पास में, हारे राखो चरण आधार

Sunday, 11 October 2020

आरे हम सुमरा रे मन माय, गणपती

आरे हम सुमरा रे मन माय, गणपती लागा तुम्हारा पाय
शीव शंकर ना पुत्र कहाओ, आरे वो गंगा गवरा माय
दो्द बड़ी रे दंता सुर मोटा, आरे वो लंबी सोंड रुळाय
मोदक लाडु पुजा तुम्हारी, आरे वो रुची रुची भोग लगाय
कहेजण दल्लू सुणो भाई साधू,आरेवो हारीहरक गुण गाय

Saturday, 10 October 2020

जय गणपति गवरी को नंदन

जय गणपति गवरी को नंदन
प्रथम तुमक मनावा हो
कोण तेरी माता न कोण तेरो पिता
किन घर लियो आवतर हो
गवरा हो माता पिता शिव शंकर
उन घर लियो आवतर हो
काहे न केरो पालणो बँधावा
काहे न डोर लगावा
अगर चनन को पालणो बँधावा
रामा रेशम डोर लगावा
काहे न केरो भोग लगावा
काहे न पूजा चड़ावा हो
मोदक लाङू भोग लगावा
रामा नारियल फुल चड़ावा हो
एक दंत दोई नेत्र बिराजे
रामा केशर तिलक लगाया हो
दोंद बड़ी रे दंतासुर मोटा
रामा लम्बी सूंड रुळाया हो

Tuesday, 11 August 2020

साखी

प्रथम नमों गुरु आपणा, दुजा देव गणेश |
तीजा सुमरो देवी तीन जणा ,ब्रम्हा, विश्णु, महेश ||

सरस्वती माँ तोहे बिनमा, विध्या दिजो मोय।
कंठ कोकीला हर बसो, तो नित उठ लागा पाय ||

कंठ बसो मा शारदा, करो हिरदे मे ग्यान |
श्वेत वस्त्र तुम धारियाँ, तो उज्जवल दिजो ग्यान ||

नगर खजोरी मऽ जन्मीयाँ, न गवळई घर अवतार
माता गवरा  को पय पियो, जिन हरीयो भुमी को भार

राम नाम की कोठड़ी, चंदन जड़ीया कीवाड़ |
ताळा कूची प्रेम का, तुम खोलो नंद कुमार ||

घाँघर डुबी जल में, न जल घाँघर का माय
दुनीया डुबी पाप मे, तो धर्म सयो नही जाय

बन बन बाजे बांसुरी, बन मऽ ताल मृदंग
बन बन झुले राधीका, को बन मऽ नंद किशोर

राम नाम के लेने से, सकल पाप कट जाय
जैसे सुर्य के उदय होने से अंधकार मिट जाय

Saturday, 21 March 2020

केशव फूल्यो अतिभार न फागुन आयो

केशव फूल्यो अतिभार न फागुन आयो
केशरिया की भरी पिचकारी गुलाल उड़ायो
मनमोहन चल्यो मधुबन म जसोदा को लाल
जिन सखा सखी संग माढ्यो होळई को ख्याल
जहा बजे चन्द्र और ढाल ताल चौ ताल
जेका मुखड़ा चमाचम चमक न लालम लाल
जय अबीर सनासन चले अंधेरो छायो
केशरिया की भरी...........

एक तरफ ग्वाला न को झुण्ड न अल्लड़ भारी
थी दूसरी तरफ म ब्रिज की सगरी नारी
हो- तो टोळई की प्रभु क ब्रज भान राधा दुलारी
जसोदा को लाल एक तरफ ब्रज को बनवारी
चल सन न न न न पिचकारी न रंग छिड़कायो
केशरिया की भरी...........

हो चोळई चुन्दड सब भिन्झी जैम आरू साल
होळई का खिलाड़ी खेल कट भहू जाळ
यमुना प हुयो एक रंग नाच गोपाल
बज छम-छम छम-छम घुंगरू देख तिन ताल
हुया तिनई ताल खोली न सुमन मन भायो
केशरिया की भरी............

तुम्हरो म्हारो जोड़ो

तुम झुरणो सुनो म्हारा नाथ तुम्हरो म्हारो जोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी मती छोड़ो

अलबेला पिता वचन से पदर बधाणी
हाऊ लाल चुन्दड़ीया पेरी न चूड़ी असमानी
बालम जी तुमरा मण्डप म लाड़ी कवाणी
तम मख लेण क आवजो न लावजो घोड़ो
म्हारा प्राणपति मख एक लड़ी मती छोड़ो
विदना न मिलायो जोड़ो तुम्हरो म्हारो जोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........

एक चैत मास आणो लग न तुमरा घर आऊगाँ
अलबेला म्हारा मन की बात न कहुगा
या सासु नणद का बोल कटारी सरी सहुगा
बालम जी हाऊ घुंघटो करी न पाणी लाऊगा
देखो कसा आभूषण पेरीया न मुख मती मोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........

सिंगार आभूषण सारा न कंकू कपाळ
अलबेला तम बहोत आग जंजाल
तम लीजो हरिजी को नाम न दिन दयाल
बालम जी म्हारी गोदी न दीजो हीरो लाल
हाऊ कां तक करुणा करु की साथ मती छोड़ो
पातळीया मख एक लड़ी........

Saturday, 14 March 2020

तुक जरा दया नही आई म्हारा दिलभर

तुक जरा दया नही आई म्हारा दिलभर माया तोड़ी गयो घड़ी पल म
टप-टप आसू चुभ म्हारा दिल म रोती छोड़ी रंगमहेल म
माय बाप ने पैदा करी, जलम दिया रे भगवान
छटी माता न लेख लिखीया नही मिटाओ आक्षर
माय बिना तो झूरे मायरो तोता बिन झूरती मैना
परबत म्याना झूरे मोहणी सजन बिना झूरती अबला
माय बाप ने महेल बनाया महल बधाया रहने का
चन्दन काट कर झूला बनाया डोर लगाया रेशम का

बैदड़ सोक की कहु रे जगत म

बैदड़ सोक की कहु रे जगत म, बुरी भई लड़ाई।
आरे पुरब जन्म को बैर रांड वा लेने को आई॥
पहली लुगाई मिली ब्याव की उमर में छोटी रे।
करो म्हारो दुसरो ब्याव म्हारा घर दौलत कीनी कम थी।
हितु भाई मिल बैट ज्वान की आकल सला होती।
फेकी नीघा चौ तरफ की लड़की मिली उमर म मोटी।
प्याराजी लालुच म डाल कर ब्याव कीया था उसका॰
प्याराजी वो नही जाणे पड़े रे फजीता घर का॰
करण हार करतार करम म् छटी जो लिखी गई॥
हितु भाई मिल बैठ कमेटी टीप लिख वाई रे भाई होण।
जल्दी करो तैयारी हल्दी लगने की घड़ी आई।
आज करो तैय्यारी काल तुम जात जिमाड़ो रे।
लगी रही दौड़ा दोड़ सुंदर को जल्दी लावो ब्याई।
प्याराजी
प्याराजी पियर म खबर होने नही हो पाई॰
पियर खबरा पाई रातभर नींद नही आई रे॥
बड़ी फजर परभात हुयो भमसारो न पय फाटी।
माय बाप नकी छोरी सुंदर घर से भागी।
हितु भाई जहाँ बैठ ब्याव की सभा कैसी बैठी।
आवत देखी सुंदर क सब नकी होय भागा भागी।
प्याराजी कहु हाथ जोड़ी अरदास घड़ेक ठाड़ा रहीजो॰
प्याराजी मन काई करयो अपराध मक तुम कईजो॰
ये कहा रे हितु भाई सेज म्हारी नदी म डोबाई रे॥
हाथ जोड़ी आरदास म्हारा सी काई तुम दुख पाई।
पुरब जन्म को बैर म्हारा पर बैंदड़ को लाई।
बाल पणा संग रया सेज संग धोती पर राजी।

सोने की अंगूठी गोरी तुने

सोने की अंगूठी गोरी तुने हाथो में रखणा।
सोबत म्याना तुने ढोंडी गमाई हमने क्या करणा जी॥
दखण दिशा से चीर बुलाया न चोली सीलवाणा।
कस लेवो अपना अंग यार की सैलाणी रखणा जी॥
न्हाय धोय कर बाल सुखाणा न शीश रे गुथवाणा।
कर लेवो अपना दिल में विचार फिर रम्बा दिलावर चलना जी॥
दिलावर तो चलना हो गोरी नेचा ईमान का रखणा।
करी जाय बैरण घात आज फिर हमको मत कयणा जी॥

घुंघट म्यान कपट दिवानी

घुंघट म्यान कपट दिवानी नैना मार क्यो तरसाती।
करार कर के चली कहा जाती जरा मुख नही बतावती॥
नल पनघत पर खड़ारे गबरु न चबा रया पानो का बीड़ा।
जरा मुख से हस दे वो गोरी फिर भरना पानी का घड़ा
खारीक खोपरा लौगइलाईची न गुड़ खाईगई वा फोकट म्
भंग पिलाकर करु बावरी न
अट्टा हो टट्टा मत कर गोरी न आई जायग म्हारा सट्टा म्।
इश्क बाजी से बच कर रयणा दाणा मंगाई देऊ तोहे नट्टा म्॥

एक अतीपल चंचल नार

एक अतीपल चंचल नार पिया से मिला रही हो नजरा,
पिया मुझे ला देना गजरा॥
गजरे वाला आया शहर मे अजब लगी रे दुकान,
मेरा है उस गजरे पर ध्यान।
हिरा मोती लाल जड़ाया बिच रेखा परमान,
के गजरा चमक रहा चौगान।
इस गजरे बिन फिका लगता कंकू और कजरा॥
मेरे बरोबरी की सखीया यार सब गजरा लेती है,
मेरे कौ नोक लगाती है।
लप झप करती यार कुये पर पानी जाती है,
मेरे को वहा सरमाती है।
इस गजरे बिन जाय मरुगी अब होण हेवो फुजरा॥
तुम मेरे सरदार बात पर ख्याल न लावोगे,
मेरे को जीति न पावोगे।
गजरा लेके यार हाथ मेरे पहेनावोगे,
सुख जिंदगी का पावोगे।
हाथ जोड़ कर खड़ी सामने मीला रही नजरा॥
इतना सुनकर दिलभर यार ने किया दिल में विचार,
जाकर पहुचा मंज बजार।
अनमोल गजरा लिया बिसार घर आया दिलदार,
नार ने सोळा कीया सिनगार।
कहे बंकट आनंदराम, सहेली हुई सभी फुजरा॥

गोरे रंग से हो दंग नार तेरी

गोरे रंग से हो दंग नार तेरी अंगीया मखमुल की।
आरे बाके नैन सेहो चोट मार थारी लटक जान देखी जी
कंचन काया लुटी दोस्त तुने लाख रुपईया की।
सोना सरी को बदन मजा तुन ली म्हारा जोबन की जी॥
दिया जो बन का दान सेज पर खवा गई टिकी।
गरमी मे गल तान अंगिया भिज़ गई मखमुल की जी॥
छड़ी छाट होती तो जोस मे दिवाल कुद जाती।
पर धरणी म गीरी सुध ना रही अपने तन की जी॥
साई रे लाल उस्ताद जिन्होने धुंध गाई बाकी।
गोरा रंग गोरी का देख कर सुरत गई बहेकी जी॥

बिगर पेच का झाड़ चलो न सखी

बिगर पेच का झाड़ चलो न सखी बजार  मैंसर का।
कर मिन्तर सी बात चौक मे् सौदा दोनो का जी॥
ऐली धड़ बैगाँव पैली धड़ खासा मर्दाना।
पाणी भर पणीहारी मुसाफीर मोहबत का प्यासा जी॥
मेरे महेल में डाला बिछोना न सोने को आना।(गोरी तुने)
चार पाव की जले मशाल ना तुने डरना जी॥

मारी मारी हो नन्द जी का लाल

मारी मारी हो नन्द जी का लाल न रंग पिचकारी।
हाऊ रंग म भीज़ई गई सारी॥
काना तुक कहू समझाई।
म्हारी साथ म सखी न भी आई।
रंगी दी रे यशोदा का लाल न सखींया सारी॥
सब ग्वाल बाल वहा आया।
सब सखी न क रंग लगाया।
राधा की हो नवरंग साड़ी भिज़ई गई सारी॥
वहा देवता फुल बरसाव।
वाहा सखी न भी मंगल गाव।
गोकुल का लोग सब आया न मथुरा सारी॥

Saturday, 15 February 2020

तुम चलों संत पावाँ हो निदान

तुम चलों संत पावाँ हो निदान, सिंगा जी घर हरी क बंधावो रे
बाबा यो पल नहीं आव पावणो आसा बहु दल उतरे पार
बाबा मनुष्या जलम अति दुर्लभ हैं, तुम मानों वचन नर नार
जिन गुरु गोविन्द सेविया वो बहु दल उतरे पार
बाबा धन करणी हो म्हारा सतगुरु की, जिन जीत लियो रे संसार
बाबा दास दल्लुपजा की बिनती, गुरु मख राखो ते चरण अधार