"हम परदेशी पावणा दो दिन का मेजवान"
अवगुण बहुत कियो, गुरूजी मऽन नित उठी पाँय जमीनपर धरियो,कईएक जीव नक मारयो नव मास माता गरभ मे राख्यो = बहुत ही दुःख दुखायो वाट चलती तिरीया हो निरखी, मंसा मऽ पाप कियो कहे जण सिंगा सुणोभाई साधू=आरे गुरू का चरण छियो
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