गुरू म्हारो अहिलो जनम गयो
आरे मऽन नही मुख राम कयो
एक पण खोयो, दुजो पण खोयो, तीजा मऽ शरण आयो
बन माही गाऊ भैस चराई = जंगल वास कियो
गुरू बृह्मा गुरू विष्णु समाना, नैनन नीर बहायो
नैन खोल गुरू निहारे = गद गद कंठ भयो
गोद उठाय मनरंगा, मस्तक हाथ दियो
कहे जण सिंगा गुरू की महिमा = भव जल पार कियो
(ग्राम खजुरी म बाबा भीमाजी कृष्णा म्हारी बईण भाई लिम्बाजी
गौलई वंश हुयो
गाय भैसी की महिमा छे भारी माता गौर बाई माता हमारी
उनको दूध पियो
पाँच बरस म छोड़ी खजुरी लखाराव घर करी मजूरी
हरसूद वास कियो
पूरब जन्म को पूण्य हमारो आज धन्य हुयो जन्म हमारो
सिंगाजी चरण रयो)
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