भिलणी रड़ रे बन का माय
आरे इना बन मऽ लगी गई लाय
पड़ेल हुती तो लेख वाचती
आरे यो कर्म वाच्यो नही जाय
कुवारी हुती तो वर घणा रे
आरे मख लगी गया हाल्दी का दाग
कुओ हुतो तो हाऊ थाग लावती
आरे यो सागर थाग्यो नही जाय
कहे कबिरा सुणो भाई साधू
आरे थारा चरणो मे शीश नमाय
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