Tuesday, 11 March 2014

जाका पिया से अमर हो जाय

जाका पिया से अमर हो जाय, राम रस ऐसा रे भाई
आगो आगो दल चले रे, साधू पिछे से हरियाँ  होय
बलिहारी उन रूप की हा =आसो जड़ काटे न फल होय
घर राख्या घर उपरी रे, साधू घर राख्या पटसाळ
ऐसा घर कोई राखीयाँ हो = सिधा अमर लोक को जाय
मिठा मिठा सब कोई पिये रे, साधु कड़वा पिये ना कोई
खाटापिये न दुःख उपजे हो=आसो लिम पिये न सुख होय
ध्रुव पिये रे पहेलाद पिये रेसाधू और पिये न रोहित दास
दास कबिर जाकी बिनती हो= ऐसी ओर पिवन की आस

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