खुब विचारी सल्ला सिंगाजी आकेला
आकेला रे महाराज सिंगाजी आकेला
पाँच हथियार कस के बांधे,आरे जो लसकर खोजन चला
सयाणी घोड़ी पर झीन कसी न,आरे वो भामगड़ से चला
पाँच फेरा परकम्मा दीना,आरे वो गुरू मनरंग का चेला
कहे जण सिंगा सुणो भाई साधू, आरे वो गुरू की गोद में झुला
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