Friday, 14 March 2014

मन मेरा रे किस विधी पार उतरणा रे

मन मेरा रे किस विधी पार उतरणा रे
कोट कोट कंगुरा जड़ीयाँ उपर नाचे मोर
मोर बिचारा क्या करे रे घर का मन चोर
दरिया बिच मे नाव चले और उसमे बैठे लोग
लोग बिचारा क्या के रे पाप भरा घनघोर
घाघर उपर तो झारी बिराजे उसमे भरिया नीर
मेघ माला बरसन लाग्या भिजे कुशुमल चीर

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