मन मेरा रे किस विधी पार उतरणा रे
कोट कोट कंगुरा जड़ीयाँ उपर नाचे मोर
मोर बिचारा क्या करे रे घर का मन चोर
दरिया बिच मे नाव चले और उसमे बैठे लोग
लोग बिचारा क्या के रे पाप भरा घनघोर
घाघर उपर तो झारी बिराजे उसमे भरिया नीर
मेघ माला बरसन लाग्या भिजे कुशुमल चीर
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