सतगुरू ने वचन सुनाया
सिंगाजी भामगड़ आया
लखा राव से जुवार कीनो
आरे वो तज घोड़ा न घर आया
ढाल तलवार पाँचो हथियार
आरे वो तवा नदी मऽ डुबायाँ
गुरू शब्द हिरदे में लागे
आरे वो और कछु नही भायाँ
जन्म मरण का दुख है भारी
आरे वो गुरू ने ज्ञान बतायाँ
कहे जन दल्लू सुणो भाई साधू
आरे वो गुरू चरणो में आया
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