Thursday, 13 March 2014

मार्.या हो बाण कसी म्हारा सतगुरू

मार्.या हो बाण कसी म्हारा सतगुरू
अन्न नही भावे नींद नही आवे, तन पर विपत कसी
तन का घाव नजर नही आवे, कहाँ लगाऊ दवा घसी
छुरी नही मारी कटारी नही मारी,शबद की सब फल घसी
कहे जण सिंगा सुणो भाई साधू, मनरंग बाण गया धसी

No comments:

Post a Comment