म्हारा गरभ क्यो आयो हटिला बाळा
माता को दिल भरमायो हटिला बाळा
पईला महिना की आस लगी थी सुभ दर्शन दिखलायो
शिव को शिवाळ्यो न देव को देवाळ्यो = अम्बीका को दर्शन पायो
दूसरा महीना की आस लगी थी बाग बगीया लगायो
दुध दही की कावड़ लायो = रामानंदी तिलक लगायो
कृष्णा गऊवा दूध पिलायो बहुत ही लाड़ लड़ायो
दास दासी न गोद खेलायो = नही धरणी पग दियो
No comments:
Post a Comment