मनब तु अमोल बाणी बोल
आरे थारो तिन लोक मऽ मोल
ओहम सोहम दो पलवा बणायाँ
आरे भाई निरगुण उत्तर से तोल
तन मन धन का बाट बणायाँ
आरे भाई सुरत मुरत सी तोल
आठ नौ मास गरभ मऽ रयो
आरे भाई कळु मऽ झूट मत बोल
एक कायाँ का दस दरवाजा
आरे भाई इधर उधर मत डोल
भव सागर अथाय भरीयो है
आरे भाई सत का पलवाँ तोल
कहे जण सिंगा सुणो भाई साधू
कहे गुरू सिंगा सुणो भाई साधू
आरे भाई अमर वचन नीत बोल
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