Friday, 14 March 2014

जीन घर भक्ति नी होय वो

जीन घर भक्ति नी होय वो नर कसो सोव से
म्हेर म्हेर महेकाय नींद कसी आवसे
गण पर खड़ीयाँ गणराज पोल पर आवीयाँ
जहाँ रे खड़ीयाँ छबी दार चोर कसा आवीयाँ
आरे म्हारी सांसूजी सोया अटरीयाँ नणद पटसाळ मऽ
म्हारा पियू जी सोया रंग महेल मऽ कूण जगावीयाँ
उठो उठो हो सुहागेण नणंद पीया न जगावीयाँ
महेल मऽ घुसीयाँ चार चोर कर बल जोरीयाँ
रंग मऽ रंग सुरंग लाल रंग पातरी
मोतीयन चोमू थारी चोम पुराव म्हारी आरती
कहेत कबीर धर्म राज सुणो न चित लावीयाँ
वो जन उतरे पार जो राम गुण गावीयाँ

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