"हम परदेशी पावणा दो दिन का मेजवान"
देश लग न मख बुरो राणाजी थारो थारा जो देश मऽ दो जण कपटी आसो गुरू मिलीयो न रंग रुड़ो सायो नही पेरू हाऊ साड़ी नही पेरू नही पेरू बाह भर चुड़ो पटिया नी पाड़ु हाऊ हिंगुल नी रालू नही बांदू सिर पर जुड़ो कहे जण दल्लू सुणो भाई साधू
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