Thursday, 13 March 2014

फल नजीक नजर नही आव

फल नजीक नजर नही आवे, सतगुरू बीन कोण बतावे
बिना पात को सरवर कहिए, लहेर उलट कर आवे
बिना चोच को हंसा कहिए = मोती चुग चुग खावे
बिना मुल को वृक्ष कहिए, डाल नवी जावे
बिना पंख को हंसा कहिए = आकास उड़ी उड़ी जावे
बिना पत्र को बेल कहिए, छाँव नजर नही आवे
बिना फुल का फल लागा = साधू जण कोई खावे
उलट ज्ञान कोई बिरला बुझे, और न बुझण पावे
कहे जण सिंगा सुणो भाई साधू = चौरासी छुट जावे

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