मारग कौन बताये गुरूजी बिन
दुर को जाना रहे अंहकारी, मारग नजर न आये
सिधे मारग पर पाँव धरयो = मारग वोही बताये
नदियाँ गहरी जल डुबाये, नीर बहता जाये
गुरू कृपा से पकड़ बुनाये = वोही पार लगाये
मेरा मेरा मत कर, ईस बस्ती में रहन न पाये
कहे जण सिंगा सुणो भाई साधू = राम नाम गुण गाये
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