मन भाया रे आंनद आया रे मंगल गाया
गुरू सिंगाजी मीजवान अपणा घर आया
कुवारी गायँ को गोबर बुलायो
घर आंगण लिपवाया रे भाई
ताँबा केरा कलश धरीयाँ
गंगा जल से भरवायाँ रे भाई
मकमुल केरी गादी बिछाई
सिंगाजी को बिठवाया रे भाई
मनु भाई की बिनती सुणजो
चरणो म शीश झुकवायाँ रे भाई
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