Wednesday, 23 August 2017

कब के भये बैरागी कबीर जी

कब के भये बैरागी कबीर जी, कब के भये बैरागी
आदि अंत से आएँ गोरख जी, जब से भये बैरागी
जल्में नही जब का जनम हमारा,नही कोई जग में नांही
पाव धरण को धरती नाही = आदी अंत से लय लागी
धन्धो कार कहुकानी मेला, वही गुरु वही चैला
जब से हमने मंड मड़ायाँ = आप ही आन अकेला
सतजुग पेरी पाव पवड़ियाँ, द्वापुर लीयाँ उड़ा
त्रिताजुग म अड़बद कसियाँ = कलूम फिरीयों नव फेडा
राम भया जब टोपी सिलाई, गोरख भया जब टीका
तासे जब का हो गया मेला = अंत से सुरत लगाई

Monday, 21 August 2017

मै बंजारो हरि नाम को

मै बंजारो हरि नाम को, लेतो हरि जी को नाम
गगन मंडल म घर तेरा, भवसागर म दुकान
सौदागिर सौदा करे = मस्त लगी रे दुकान
मन तुम्हारी ताकड़ी, तन है तेरी दीर
सुरत मुरत हुंडी बणी = मन चाहे को मोल
झुम लहेर नदिया बहे, नदिया अगम अपार
कर्मी धर्मी पार हुये = पापी डूबे मझधार
कहत कबीर धर्मराज से, साहेब सुण लेणा
सेन भगत जा की बिनती = राखो चरण आधार

Wednesday, 16 August 2017

चली गई माल दुलारी

चली गई माल दुलारी तजी न थारी
सोयो पाव पसारी तजी न थारी
जिसकी जान थारा पास नही रे, सोना क दियो रे गमाई
भरम भंभू का उठण लाग्या = नोटीश प नोटीश जारी
बृम्ह कोठरी बृम्ह का वासा, गीत का मुजरा लेई
नव नाड़ी और बावन कोठड़ी = अंत बिराणी होय
जब हो दिवानी ने दफ्तर खोला, नही शरीर नही श्वास
माता छटी ने डोर रचीयो है = रती फरक नही आव
हिम्मत का हाल टुटी गया रे, रयि हमेशा रोई
सतगुरु राखा अभी ले जाजो=नही तो चौरासी का माही
कहत कबीर सुणो भाई साधो, यो पद है निरबाणी
यही रे पंथ की करो खोजना = रही जासे नाम निसाणी

Tuesday, 15 August 2017

म्हारा संत सुजान ध्यान

म्हारा संत सुजान ध्यान लग्यो न गुरु ज्ञान सी
ज्ञान की माला फेर जोगी, बंद में धुणी तो रमावे
जोगी की झोली जड़ाव की = मोती माणक भरीया
बड़े बड़े भवर गुफा में, जोगी धुणी तो रमावे
जेका रे आंगणा म तुलसी = जेकी माला हो फेर
चंदन घीस्या रे अटपटा, तिलक लीया लगाय
मोहन भोग लगावीया = साधु एक जगा बैठा
कई ऋषि मुनी तप करे, इना पहाड़ो का माई
अब रे साधु वहा से चल बसे = गया गुरुजी का पास
गंगा जमुना सरस्वती, बेव रेवा रे माय
जीनका रे नीरमळ नीर हैं = साधु नीत उठ न्हाये

Monday, 14 August 2017

यो जो पावणों नहीं माने

यो जो पावणों नहीं माने रोके बिन वाट
बड़े बड़े मन्दिर छोड़ के धरणी सुख सोया
जुगत जुगत झूला झुलजो
पँखा वाल झुलावां
वागो सिलयों जरीदार को माथ कुसमल फ़ाग
भरी सभा में हो बैठ के
गावे उजवल राग
सवालई गुड़ लापसी, घेवर करू पकवान
घेर तपाव आकरा
खारिया करो आचार

Saturday, 12 August 2017

डोलो सजायो रे राई आंगणा

डोलो सजायो रे राई आंगणा, तिरीया हल्द लगावे
यम न झंडा रोपीया, रोपीया काया का माय
लूट सके तो लुट ले = लुट लिया हो बाजार
बम का बाजा बजी रया, बजी रया रनवास
सखीयन मंगल गावियाँ = हुई रई जय जय कार
हाथ म कंडो रखी लियो, पाछ रड़ परिवार
बिच म काया जाई रई = गई स्वर्ग द्वार
भाई रे बंधू थारो आई गया, सजी धजी रे बारात
भाई रोव न वोकी तिरीया = चला रेवा का माय
रेवा जी के घाट पर, सळ दियो हो रचाय
आग लगाई न पाछा आविया = पाणी अंग लगाय

Friday, 11 August 2017

भक्ति दान मोहे दिजीये

भक्ति दान मोहे दिजीये, देवन के हो देवा
]करु संत की सेवा
नही रे मांगूँ धन सम्पदा, सुन्दर वर नारी
सपना म रे मांगूँ नही = मोहे आन तुम्हारी
तीरथ बरत मोसे ना बने, कछू सेवा ना पुजा
पतीत ठाड़ो परभात से = आरु देव न दुजा
करमन से रिध सिद्ध घणा, वैकुंठ निवासा
किंचित वर मांगूँ नही = जब लग तन स्वासा

भज ले हरि को नाम रे मन तू

भज ले हरि को नाम रे मन तु
बाल पणो तुन खेल गमायो, आयो भरी जवानी
काम म रे तुन वा भी गमाई =नई लियो राम को नाम
आयो हो बुड़ापो न लग्यो हो कुड़ापो, डोलन लाग्यो सारो
शरीर आखें सी तो सुझ नही रे =पड़यो पलंग का माही
राम नाम हरी क घट म हो राखो, दिन आरु रानी
मुक्ति होय थारी आखरी घड़ी रे = भेज वैकुन्ठ धाम
कहत कबीरा सुणो भाई साधू, घट म राखो राम
मनुष जलम काई भाव मिल्यो रे=नई मिल ऐसो धाम

कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग

कैसे रुप बड़ायो रे नरसींग
ना कोई तुमरा पिता कहावे, ना कोई जननी माता
खंब फोड़ प्रगट भये हारी = अजरज तेरी माया
आधा रुप धरे प्रभू नर का, आधा सिंह सुहाया
हिरणा का शिश पकड़ धरण में = नख से फोड़ गीराया
गर्जना सुन के देव लोग से, बृम्हा दिख सब आये
हाथ जोड़ कर बिनती कीनी, शान्ति रुप कराया
अन्तर्यामी सर्व को न्यापक, ईश्वर वेद बताया
हरी नाम सत्य कर समझो = वह परमाण दिखाया

महारो मन लाग्यो बैराग मे,

महारो मन लाग्यो बैराग मे, रमता जोगी की लार
पाव बांध्या हो मीरा घुंगरु, हाथ ली हो करताल
दुजा हाथ मीरा तुमड़ा = गुण गाया गोपाल
एक लांग मीरा सासरो, दुजा मामा ममसाल
तीजा लांग रे मीरा मावसी = चवथा माय रे बाप
जहर का प्याला राणा भेजीया, भेज्या दासी का हाथ
जावो दासी मीरा क दई आवो = आमरीत लीजो नाम
जावो दासी होण देखी आवो, मीरा जीवती की मरती
मरी होय तो वक फेकी दिजो = मीरा जैसी की वैसी

सरग बांदया रे साधू झोपड़ा

सरग बांदया रे साधू झोपड़ा, कलु म कीया अधवारा
घर बांदया रे घर की नीव नही, नही लाग्या  सुतार
लावो घर के पारप्ठी = घर बांदया कैलाश
घर ऊचा धारण नीचा, दियो जड़ रे आकाश
सागर ताक जड़ावियाँ = जाको वस्तर अपार
घर छाया घर ना गले, चट घट करी पास
नीरगुण पाणी झेलीयाँ = वो घर का रे माय
घर बांदया रे घर की नीव नही, घर को रची गयो नाम
जहाँ सींगा न जलम लियो = दल्लू आया मेजवान

बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो

बीरथा जलम हमारो गुरुजी म्हारो
एक क्षण खोया दूजा क्षण खोया, तीजा म सरण आयो
वन में तो गाय चराये = जंगल बास कियो
राज पाट धन माल सब त्यागू, म्हारा रे कंठ प्राण आयो
चरण धोवो रे चरणामत लेवो = चलत आयो गस्त
झट मनरंग न गोद उठायो, मस्तक हाथ फेरयो
राम नाम का शब्द सुणा रे = राम नाम लय लागी

Wednesday, 2 August 2017

सजन बड़ा बईमान हैं

सजन बड़ा बईमान हैं, दगा दिया परदेसी
काया जिव से कह रही, सुण ले प्राण अधार
लागी लगन पिया मत तोड़ो, मैं तो तेरे पास
जिव काया से कह रहा, सुण ले काया म्हारी बात
अष्ट पहर दिन रेन के, प्रीत बालपणा का साथ
तुम राजा हम प्रजा हैं, फिरि गई राम दुहाई
तुम पुरुष हम कामिनी, किस मद में रहते
मै पंछी परदेस का, मेरी मत कर आस
देख तमासा संसार का, दूजो कर घरबार
चार दिन को खेल हैं, खेलो संग साथ
मनरंग स्वामी यू कहें, मेरी मत कर आस

Tuesday, 31 January 2017

अनहद मन म्हारो रमी रयो

अनहद मन म्हारो रमी रयो, धुन लागी रे प्यारी
उस दरियाव की मछली, इस नाले में आई
नाले का पानी तोकड़ा = दरिया न समानी
वस्तु घणी बर्तन छोटा, कहो कैसे समाणी
घर मे धरु बर्तन फुटे = बाहेर भरमाणी
फल मीठा तरुवर ऊँचा, कहो कैसे तोड़े
अनभेदी ऊपर चड़ो = गीरे धरती के माही
बृह्मगीर बृह्मरुप है, बृह्म के माही
बृह्म बृह्म मिश्रीत हुआ = बृह्म में समाये

Sunday, 22 January 2017

कबीरो किन भरमायो

कबीरो किन भरमायो, अम्माँ महारो
कबीरा की औरत कहती सासु से, ऐसो पुत्र क्यो जायो
खबर हुती मख नीच काम की = ब्याव काहै को करती
कबीरा की माता कहती कबीर से, तुन म्हारो दुध लजायो
खबर हुती मख गर्भवाँस की = दुध काहे को पिलाती

Thursday, 19 January 2017

बैर पुरबला ना छुटे

बैर पुरबला ना छुटे, करो कोट उपाय
कोई तो कसाई ने, गौवा लीनी हो मोल
गऊ रे समझी अपने मन में = मुझे मारेगा आज
घर से हो गौवा बाहेर नीकली, भागी जंगल जाय
उधर से आया रे एक ब्राह्मण, कसाई ने हो देखा
वाल ब्राह्मण मोरी गाय को = जाणे मती देणा
ब्राह्मण ने दोनो हाथ से, उस गौवा को फेरी
वो कसाई घर आया = जमपुरी दी पहुचाई
मौत बही रे कसई की, कसई बणी आयो दुश्मन
जलम हुवा रे दुसरा गँऊ का = तीरीया बणी आई
ब्राह्मण मौत कमाविया, ब्राह्मण फिरी आया भटकता
भटकत वाके बीच गया = आया उस तीरीया घर
आधी सी हो रात में, तीरीया उठी आई
ब्राह्मण का हो दोष नही = ऐसी मती हो आई
भौग नी देऊ तुझे पावणी, देखू तेरा हो भाव
तेरा साजन घर मे सोवीया = शीश काटी हो लाव
इतनी बात सुन पछी आई, खन्जर लिया रे हाथ
शीश काट छाती भई = करी स्वामी पर घात
भौग नी देऊ तुझे पावणी, रही थोड़ी सी रात
सुन तीरीया पछी घर आई = हो गई परभात
तीरीया ने शोर घणा किया, बात गई दरबार
कहा को हो ब्राह्मण आविया = मारीयो भरतार

Wednesday, 18 January 2017

क्यो रोवे मोरी माई हो ममता

क्यो रोवे मोरी माई हो ममता क्यो रोवे मोरी माई
पाँच हाथ को कफन बुलायो, अप दियो झपाई
चार वेद चौरासी लीजियो = उपर लीयो उठाई
लाख करोड़ माया हो जोड़ी, कर कर कपट का माही
नही तुन खाई, नही तुन खरची =रई गई धरी की धरी
भाई बन्धू थारो कुटूम कबीलो, सबई रोवे रे घर बार
छोरि हो तीरीया तीन दिन रोवे = दूसरो कर घर बार
हाड़ जल जसी बंध कीहो लकड़ी, कैश जल जसो घाँस
सोना सरीकी थारी काया हो जल = कोई नी थारा पास

Tuesday, 17 January 2017

भक्ती भरमणा दुर करो

भक्ती भरमणा दुर करो, ठगाई नही जाणा
कायन की साधु गोदड़ी, कायन का हो धागा
कोण पुरुष दर्जी भया = कुण सिवण लाग्या
हवा की बणी साधु गोदड़ी, पवन का हो धागा
मन सुतार दर्जी भया = आसा ऊ सिवण लाग्या
काहाँ से रे पवन पधारिया, कहा से आया रे पाणी
कहा से आई स्वर्ग स्याणी = कब से कळु हो छपाणी
आगम पवन पधारिया, पीछम आया रे पाणी
बीच मे आई स्वर्ग स्याणी = जब से कळु हो छपाणी
धवळो घोड़ो रे मुख आसळो, मोती जड़ीया रे पयाल
चंदा सुरज दुई पेगड़ा = आरे स्वामी हूया असवार

Sunday, 15 January 2017

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं

हारा रे मोरे भाई नाथ मैं
एक बंद ढूंढा सकल बंद ढूंढा, ढूंढत ढूंढत हारा
तीरथ धाम हम सब ढूंढी आया
प्रभु मिल्या घट माही
नहीं मेरा यारा नहीं मेरा प्यारा, नहीं मेरा बन्धु भाई
तुम बिन मोहे कौन उभारे
लेवो बाह पसारी
प्राण बाण जब छुटन लाग्या, कायर भयो मन माही
प्रेम कटारी लगी हिरदा में
ऊबो हुयो नहीं जाई
नहीं साहेब आर नहीं आहेब पार, सागर भरिया अपार
बिना पावत यो सोर ढुबत है
कुन्ज ढुब्यौ जल माही
दीनदयाल कृपा करो हम पर, गरीब नु काज सुधारों
कहत कबीर सुणो भाई साधो
जोत म जोत समाई

Friday, 13 January 2017

चलो पंक्षी सब पावणा

चलो पंक्षी सब पावणा, घुँग बाई को छे ब्याव
मिनी बाई माता पर टोपलो, मिनी बाई चली रे बाजार
खारीक खोपरा मिनी बाई लाईयाँ = सईयों चावा रे पान
मिनी बाई बाजार से घर आईया, ऊदरो पुछ हिसाब
एतराम आया कुतराँ जेट जी=मिनी बाई भाँग ऊबी वाँट
हाड़ीयाँ न डोल बजावीयाँ, कबुतर नाच बतावे
काबर वर मायँ बणी गयाँ = चीड़ीयाँ गावे हो मँजला
घुस ने मट्टी खोरीया, डेडर कर रे गीलावों
मयना ने काम लगावीया = कोयल आई वई दवड़

Wednesday, 11 January 2017

चलो मनवा उस देश को,

चलो मनवा उस देश को, हंसा करत विश्राम
वा देश चंदा सुरज नही, आरे नही धरती आकाश
अमृत भोजन हंसा पावे = बैठे पुरष के पासा
सात सुन्न के उपरे, सतगरु संत निवासा
अमृत से सागर भरिया = कमल फुले बारह मासा
ब्रह्मा विष्णु महादेवा, आरे थके जोत के पासा
चौदह भवन यमराज है = वहां नहीं काल का वासा
कहत कबीर धर्मदास से, तजो जगत की आसा
अखंड ब्रह्मा साहेब है = आपही जोत प्रकाशा

जायगो हऊ जाणी रे मन तू

जायगो हऊ जाणी रे मन तू
पाँच तत्व को पींजरो बणायो, जामे बस एक प्राणी
लोभ लालूच की लपट चलेगी = जायगो बिन पाणी
भुखीया के कारण भोजन प्यारा, प्यासा के कारण पाणी
ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी =नही मिल्यो गुरु ज्ञानी
राज करन्ता राज भी जायगा, रुप निरन्ती राणी
वेद पड़न्ता पंडित जायेगा = और सकल अभिमानी
चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा,जाय पवन और पाणी
दास कबीर जी की भक्ति भी जायग = जोत म जोत समाणी

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर

सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर
पंथी रे उबा पथ उपर रे, गठरी बांदी सीर
तेरा साथी तो कोई नही रे = कर चलने की सुध
बाट बाट बंद मोवरीया रे, हरिया देख मती भुले
चलने की तेरी सांची नही रे = रहने की सब झुट
माता पिता सुत बन्धु जना रे, पनघट की ये नारी
सब मिलकर ये बिसर जायेगे = सम्पत है दिन चार
कहेत कबीरा न चैत लियो रे, सुमरो श्रीजन हारे
एक राम का नाम बिना रे = नही तो बहुत पड़ेगा मार

लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ

लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
बिना रे भाप का बर्तन घड़ीया, बिन पैसा दे रे कसोरा
मुद्दत पड़े जब पाछा लेगा = घड़त नी हारयो कसारो
भात भात की छीट बुलाई, रंग दियो न्यारो
इना रे रंग की करो तुम वर्णा = रंगत नी हारयो रंगारो
राम नाम की मड़ीया बणाई, वहा भी रयो बणजारो
रान नाम को भजतो लियो रे = वही राम को प्यारो
कहेत कबीरा सुणो भाई साधु, एक पंथ नीरबाणी
इना रे पंथ क मारण दुररो = जग सी है वो न्यारो

राम भजन कर भाई रे नुगरा,

राम भजन कर भाई रे नुगरा, नाव किनारा आई रे भाई
पैसा सरीका टिपकला, जीसमे अंडा धरावे
आट मास गरब म रइयो = करी किड़ा की कमाई
इना नरक से बाहर करो, कळु की हवा खाता
हाथ जोड़ी न कलजुग म आयो=प्रभु क पल म भुलायो
बाल पणा म खेल गमायो, जवानी म भरनींद सोयो
दास कबीरजा की बजीर पड़ी रे =अब कह क्यो पछताई
आयो बुड़ापो न लग्यो रे कुड़ापो, लकड़ी लिनी हाथ
पाव चल तो ठोकर खावे = जरा सुद नही पाई

पति क्यो बैठया उदास रात

पति क्यो बैठया उदास रात दिन कई देवो दिल की बात
पति कहे तीरीया से, तुमको कभी नई कण
तीरीया मन में कभी नही राखे=या खोटी तीरीया को साथ
हट पड़ी तीरीया नही माने, अन जरा नही खाये
सब तीरीया तो काई हो सार की=कब कई दिल की बात
मणीया बाद भाई गयो रे बाद म, नही कोई संग सगाली
म्हारा मन म ऐसी आवे = वा करी कृष्ण न घात
इतनी बात सुणी तीरीया न, रात को नींद नी आई
सोचत सोचत रैन गवाई = फिरी हुयो परभात
घर को धंधो सबई छोड़यो, दबड़ी न पनघट आई
सब सखीयाँ तो बराबरी = वहाँ कही दिल की बात
तुक देखी न मन बात कई, तु मती कोई क कयसे
कान कान बा बात चली रे = वा गई कृष्ण का पास