Thursday, 30 January 2014

करम लिखा सो होयगा,

करम लिखा सो होयगा,
करणा लाख उपाय
तो कोप भवन कैकई सोईया,
राजा गया वोका पास
क्यो राणी तु अनमनी
राम क देवो रे राज
राम की सोगन्ध खाय के,
राजा पुछो फीर बात
राजा ने सोगन्ध खाय के
दिवो दो वरदान
पयलो वर जब मागीयाँ,
भरत क देवो हो राज
दुसरा वर जब मागीयाँ
राम क देवो बनवास
पिता की आज्ञा मान के,
प्रभू बन को सीधारे
भगवा कपड़ा तब धारियाँ
नगरी हुई रे उदास
आगे आगे राम चलत है,
पिछे लक्ष्मण भाई
बीच चल हो माता जानकी
लक्ष्मण है बलवीर
जाई न राम जी ठाढ़ा रयाँ,
जमना पयली हो पार
नाव लाव ड़े तु नावड़ा
आन बेगी पार उतारो
सुरपणखा जब देखियाँ,
राम सी कर अरदास
ब्याव रचाउ थारी संगम
बनु राम की नार

भाग हमारा जागीयाँ,

भाग हमारा जागीयाँ,
हम पाया निदाना
सतगुरू शरण हम सेईयाँ
खुलीयां मुक्ति का द्वारा
भव सागर म डुबता,
देखीयाँ गुरूरायाँ
बैय्याँ पकड़ के उबारियाँ
आहो सत नाम उचारा
क्रिया का अंजाण आबीयाँ,
निरखीयाँ अपरमपारा
हम सब सोया सतगती
हम न लके कोई क्यारा
जागण जग पत पारीयाँ,
धोलई रया तन सारा
चेतन शरण समावीयाँ
मिट्टीयाँ जन्म बिचारा
कहती तारा हरिदास सी,

मानो वचन हमारा
मन का आपा मेटावजो
आरे खोलो निरदागा

मात पिता के हो कारणा,

मात पिता के हो कारणा,
श्रवण कावड़ उठाये
मात पिता के कारणा,
श्रवण जंगल जावे
चन्दन लकड़ी काटयाँ
जाकी कावड़ बणाई
मात पिता को बीठाय के,
श्रवण तीरथ चलीयाँ
अध बिच जंगल जाय के
उनको प्यास हो लागी
हाथ तुम्बा उठाय के,
श्रवण सरवर चाल्या
डूब डूब तुम्बा हो बोलियाँ
राजा ने मारा हो बाण
बाण सीना म लागीयाँ,
श्रवण राम पुकारे
राजा मन म हो सोचीयाँ
कोई धर्मी पुकारे
दशरथ दौड़ता आविया,
आया श्रवण का पास
काई पुत्र थारो नाम छे
काई पड़ी गयो काम
श्रवण म्हारो नाम है,
मात पिता म्हारी साथ
प्यास लगी उनक बड़ी जोर सी
हाऊ पानी लेण आयो
राजा बात म्हारी सुणजे,
माता पिता म्हारा प्यासा
यहा सी रे पाणी लई जाई न
उनकी प्यास बुझाओ
श्रवन प्राण जब छोड़ीया,
राजा मन पछतावे
शब्द भेदी रे म्हारा बाण सी
श्रवन मारियो हो गयो
दशरथ पाणी लई न गया,
दुई खुशी हुई गया
श्रवन अपणो आई हो गयो
अपणी प्यास बुझाव
दशरथ तुम्बा बड़ाविया,
पिता न लियो पयचाणी
तु म्हारो श्रवण नही
कहाँ है श्रवण कुमार
श्रवण का माता पिता क,
दशरथ रयो समझाई
शब्द भेदी रे म्हारा बाण सी
श्रवन मारियो हो गयो
इतनी बात सुणी माता न,
पड़ी धरती का माय
अपणा श्रवन की हो याद म
गई स्वर्ग सीधार
पिता क्रोध म आई न,
दशरथ क दियो हो श्राप
पुत्र वियोग म आई न
म्हारा जसो मरी जाय
धन धन श्रवण कुमार है,
नाम करी गयो जग म
कहत कबीर धर्मराज से
साहेब सुण लेणा

विघण हरण गणराज है,

विघण हरण गणराज है,
शंकर सुत देवाँ
कोट विघन टल जाएगाँ,
हारे गणपति गुण गायाँ
शीव की गादी सुनरियाँ,
ब्रम्हा ने बनायाँ
हरि हिरदें में तुम लावियाँ,
सरस्वति गुण गायाँ
संकट मोचन घर दयाल है,
खुद करु रे बँडाई
नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है
गुण शब्द की दाँसी
गण सुमरे कारज करे,
लावे लखं आऊ माथ
भक्ति मन आरज करे,
राखो शब्द की लाज
रीधी सीधी रे गुरु संगम,
चरणो की दासी
चार मुल जिनके पास में,
हारे राखो चरण आधार

Wednesday, 15 January 2014

म्हारा भरपुर जोगी,

म्हारा भरपुर जोगी,
तुमन जगाया जुग जागजो
सोई सोई प्राणी क्या करे,
निगुरी आव घणी निंद
जम सिराणा आई हो गया
आरे उबीयाँ दुई दुई बीर
चुन चुनायाँ देव ढलई गया
आरे ईट गिरी लग चार
फुल फुलियाँ रे हम न देखीयाँ
देख्या धरणी का माय
हरे फुल ऐसो फुलियाँ
आरे बाति मिल नी तेल
नव खण्ड उजीयारा हुई हो रयाँ
देखो हरी जीको खेल

Tuesday, 14 January 2014

चलो मनवा रे जहाँ जाइयो,

चलो मनवा रे जहाँ जाइयो,
संतन का द्वारा
प्रेम जल नीरबाण है
आरे छोटी जायगा निवासी
मन लोभी मन लालची,
मन चंचल चोर
मन का भरोसाँ नही चलीये
पल पल मे हो रोवे
मन का भरोसाँ कछु नाही,
मन हो अदभुता
लई जायगा दरियाव मे
आरे दई दे गरे गोता
मन हाथी को बस मे करे,
मोत है रे संगाता
अकल बिचारी क्या हो करे
अंकुश मारण हारा
सतगुरु धोबी है,
साब सिरीजन हार
धर्म शिला पर धोय के
मन उजला हो कर लो

Monday, 13 January 2014

अमर कंट निज धाम है,

अमर कंट निज धाम है,
नीत नंहावण करणा
वासेण जाल से हो निसरी,
माता करण कुवारी
कल युग महो देवी आवियां
कलूकर थारी सेवा
बड़े बड़े पर्वत फोड़ के,
धारा बही रे पैयाला
कईयेक ऋषि मुनी तप हो करे
जल भये रे अपारा
पैली धड़ ॐकार है,
ऐली धड़ रे मंघाना
कोट तिरत का नावणा
नहावे नर और नारी
मंघावा के घाट पे
पैड़ी लगी रे पचास
आम साम रे वाण्या हाटड़ी
दूईरा लग रे बजार

Friday, 10 January 2014

तेरो कान अलवरी यशोदा

तेरो कान अलवरी यशोदा
म्हारी राधे पे अखियाँ मारी यशोदा
भर पिचकारी म्हारी राधे पे मारी
आसी चुनरी भिगोई सारीं जसोदा
हो जल जमुना पणी हाउ गई
आसो धीरे से कंकड मारे जसोदा
माखन मिसरी को वालो चोरी चोरी खावे
आसी धईया की मटकी फोड़ी जसोदा
बिंद्रा जो बन म रास रच्यो हैं
आसा १६ सौ गोपिया रमावे जसोदा
मीरा बाई के प्रभु गिरधर नागर
असा हरणा हरक गुण गावे जसोदा

श्याम सुन्दर बिरज रास म आवो

श्याम सुन्दर बिरज रास म आवो
परदेशी बिलम रहे
जेठ तपे दिन रात, आषाड़ म घटा हो घुमड़ रही
श्रावण झूला झूल श्याम संग कुबजा झूल रही
भादव घोर गंभीर, कुवार म महोरा बोल रहे
कार्तिक करे किलोल गगन में तारा चमक रहें
मांगसीर हैं सूरदास, पोस महीना सोसा क्यों हो करे
माह महीना नहावा जाय  श्याम मोरी बैया क्यों पकड़े
फागुन उड़े गुलाल, चैत महीना केशव फुल रहें
वैशाख महीना नहावा जाय श्याम मोरी बैया क्यों पकड़े

Tuesday, 7 January 2014

आज सखी मथुरा हो बिंद्रावन

आज सखी मथुरा हो बिंद्रावन कान्हा कान्हा कन्हैया हो
मथुरा में हरी जन्म लियो हैं कंस राय पयरा हो धरे
श्रीमंत जी न सपनों सुझायो
रामा चन्द्रभुज दर्शन दियो
मथुरा से हरी गोकुल आये वासुदेव गोद उठाया हो
जमुना जी ने चरण छुया हैं
क्षत्र नाग करी छाया हो
आकासुर मारे बकासुर मारे मारिया छे मामा कंस हो
जहेर चारी लई पूतना हो मारे
जिनका जाधव सोस करे
धन हो बिंद्रावन धन बाबा नंद धन धन जसोदा माय हो
नरस्यानु स्वामी न अन्तरयामी
रुडा रास रमाये हो

Monday, 6 January 2014

सावल मुरली बजाई मोहन न

सावल मुरली बजाई मोहन
खरी हो साँझ को पहलो जो पयरों
दीवलो जलण नी पायो
आदि जो रात को दुसरो जो पयरों
भरी निंद्रा चमकाई
भयो भमसारा को तीसरो हो पयरों
माखन हेड़वा नी पाई
भयो दिन निकले को चोथो जो पयरों
गौवा धुवन नही पाई

Sunday, 5 January 2014

चली मथुरा नु हाट

चली मथुरा नु हाट सिर उपर मटकी धरे
कोण नगर की हो ग्वालिनी काई है थारो नाम
कोण नगर पायो सासरो
कुण मिल्यो भरतार
बिंद्रा हों बन की ग्वालिनी राधे है म्हारो नाम
गड़ रे गोकुल पायो सासरो
कृष्ण मिल्यो भरतार
कोण नगर को हो ग्वालियो काई है थारो नाम
कोण बाबा घर जन्मीयाँ
किनको हैं तू लाल
गड़ रे गोकुल को हाउ ग्वालियो कृष्ण हैं म्हारो नाम
बाबा हो नन्द घर जन्मीयाँ
यशोदा को है लाल
दूर की उठी रे काळई बदली बिजळा होया रे आकाश
नरस्यानुस्वामी न सावँरा
रुड़ा रास रमाय

आरे वालो रुण झुण आवे

आरे वालो रुण झुण आवे सरवरी पाल ढुले ढुले
आरे बिंद्राबन माहे रम्भा रमण करे करे
आरे माथे मुकुट विराजे कानौ में कुंडल ढुले ढुले
कान करण फुल सोवे गले में बिंदी ढुले ढुले
आरे चलनो जेको चंचल नित उत नयन ढुले ढुले
पाव पदम् बिराजे आग हाथ नांद बजे बजे
आरे सावरियो से भागे आगे का रूप धरे धरे
पग घुंगरू हो बजे पायल शोर करे करे
माता धन देवकी न जायो कृष्ण बिरो बिरो
नरस्यनुस्वमी रंग भरी रात रमे रमे

संजोवन आरती सावळीयो घर आयो

संजोवन आरती सावळीयो घर आयो हो
माता यशोदा थारो कान घर आयो हो
हाथी से तो हाथी लड़ाया पवन गड़ ना पहाड़ फोड़िया
रावण न दस मस्थक तोड़िय सीता जीत लायो हो
कुंदो से तो कुंदापुरम दुढो हुई न भेद बतायो
रोवन पोवण धरती नाचे बलिराजा क चमकायो हो
इंगला पिंगला रथ सिंगारिया भक्त जनों का काम सुधारिया
हनुमान को संगम लियो सीता चुरई लायो हो
गुरु ज्ञानी किन्ही सेवा सगळई धरती पिंड लगाई
चौदह रतन घर आया हो
तो मच्छ रूप नारायण लिना संखा सुर को भेद दिना
लई भेद बृम्हा को दिना न भक्त जगा घर आयो हो
भगवान ने तो भक्त उभारिया माता पिता श्रवण न तरिया
धरती तो प्रलाहद उभारिया नरसिंग रूप लई आयो हो
धरती नी तो आरती किनी चंदा सूरज न दिया बणाया
पंडोला लई न पाटन खाया सभी संत बैठाया हो
धायो नी धुलायो बालो जल म बठी न न्हायो बालो
जल म कमला लायो हो जीनो जै जैकार बधायो हो
पाट सागर सेना उतारी अपने नाम की शिला तारी
जल जमुना को मंथन माथियो वासुक नाग नथायो हो
दसवा में तो धरम जगाया हरी सुमरण से ध्यान लगाया
निराकार की आरती गाई जस नागर न्गयो हो
सोहन केरी थाल संजोया अगर धुप की बाती किन्ही
कपूर किनी जोत जलाई +++++++++बधाया हो

हाऊ चमकी अचानक बंसी तोरी

हाऊ चमकी अचानक बंसी तोरी बजी बजी
निगाह देखि तुम्हारी नैनो में होय खुशी खुशी
तेरी बंसी में जादू मोया ऋषि मुनी मुनी
बड़े बड़े तपधारी छोड़ दिनी हैं धुणी धुणी
मोरी सुणो रे बिनती कृ अरदास घणी घणी
नवी नार राधिका छोड़ो प्रीत जुनी जुनी
हम निरमल आवला जैसे रुई की पुणी पुणी
तुम श्याम कन्हैया हम राधे गौरी बणी
आये शरण सदाशिव पुरो ज्ञान गुणी गुणी

आरे गोकुल ब्रज की हो नार


आरे गोकुल ब्रज की हो नार चले सिंगार करी करी
आरे मथुरा न हटे सीर पर माट भरी भरी
गैय्या चराणो वाळो मुख म बंसी धरी धरी
आरे मन मोहन बंसी मोई ली नार हरी हरी
जमना तीर गयो हो सीर पर माट भरी भरी
आरे चुन्दड मोरी भिंजे दूध की माठ झारी झारी
आवो नंदलाल चाको तो दूध की थरी थरी
आरे लाग्यो बाण मदन को आई हम बाल घेरी घेरी
मन डोल्यो हो म्हारो ऐसो पाप करी करी
आरे ऐसो मदन मुरारी कोई पे दबाव धरी धरी
आरे शरण सदाशिव चरणों में जाय गिरी गिरी

धन धन हो जशोदा ऐसो जो

धन धन हो जशोदा ऐसो जो तप करें करें
आरे लाग्यो भादव महीनो देवकी मन डरे डरे
अष्टमी बुधवारे प्रभू अवतार धरे धरे
आरे वासुदेव लई न चालिया जमुना पूर चड़े चड़े
प्रभु चरण छुवाये झट पट पार हुए हुए
माया लई न हो चाले नंद जो घर से चले चले
भरी किलकारी कंस आन खड़े खड़े
मिला कंस पछाड़े हाथ से गई वो छुट छुट
माया बोली हो वाणी गोकुल में कृष्ण सोवे सोवे
तेरो बैरी बच्यो हैं गोकुल जाय बसे बसे

कान्हा काहे बड़ावे राड़ मोहन घर

कान्हा काहे बड़ावे राड़ मोहन घर जाणे दे
कोण नगर की ग्वालनि न म्हारा वाला रे
काई तुम्हारो नाम मोहन घर जाणे दे
गड़ मथुरा की ग्वालनि न म्हारा वाला रे
राधे म्हारो नाम मोहन घर जाणे दे
कोन नगर को तु ग्वालियो न म्हारा वाला रे
काई तुम्हारो नाम मोहन घर जाणे दे
गड़ रे गोकुल को हाऊ ग्वालियो न म्हारा वाला रे
कृष्ण छे म्हारो नाम मोहन घर जाणे दे

बाल चरित्र परम सुख पाया

बाल चरित्र परम सुख पाया सुणत संत लव लागी रे
एक दिन भवन के अंदर दाऊ किशन दोनों सोया रे
देखा चरित्र भोर गगन में बिलख बिलख कर रोया रे
बिलखत बालो कलपे जसोदा नैनो में नीर कसा आया रे
जब रे जसोदा गोद उठाया आंग को पै न पिलाया रे
तुमको क्या क्या चाहिए मेरे ललना सो सब देवो बताई रे
ऐसा ख्याल हम नी खेला मैय्या चन्द्र खिलोना चाहिए रे
दर्पण लाई घर के हो आंगणा उसमे चन्द्र बखलाया
जब रघुनंदन हाथ पसारे गगन से चन्द्र तोड़ाया रे
धन धन गोकुल धन बिंद्राबन धन माता देवकी का जाया रे
आज आनंद भयो हो गोकुल में खूब रुसनाई आई रे

जलम्या छे कृष्ण मुरार

जलम्या छे कृष्ण मुरार भक्त के हो कारणा
मथुरा म लियो अवतार गोकुल बांदिया पालणा
तिथी अष्टमी बुधवार भादव की बताविया
रोयणी नक्षत्र आधी रात शुभ घड़ी जलम लिया
धन देवकी वासुदेव जहाँ रे प्रभु जलम्या
धन बाबा नंद जसोदा जहाँ प्रभु पग पड़ीया
धन धन श्री हरी नंद मुनि की जय जय कार करें
मुरली बाजे आकाश सोहम बरखा करें
ताल बाजे रे मृदंग और बाजे बासुरी
निरत करें गोपी ग्वाल यशोदा हासती

हम ब्रज की ग्वालन मार्ग बिच

हम ब्रज की ग्वालन मार्ग बिच खड़ी कड़ी
आरे जावो गिरधर हमको रोके घड़ी घड़ी
नानी नणदुल संग म घर मोरी सास लड़े लड़े
आरे बाली बेस उमर में नहीं हम छोटी बड़ी बड़ी
नहीं बालक वाली हम हैं नार छड़ी छड़ी
तुम हो नंदलाल मुकुट में मणी जड़ी जड़ी
आरे बंसी ललकारे कानन आवाज पड़ी पड़ी
राधा कृष्ण को झगड़ो सुणो सभा म आई आई
राधा सरमाई  कृष्ण हार गई गई

Saturday, 4 January 2014

ब्रज भानपुरी की बेचत


ब्रज भानपुरी की बेचत छाछ दही दही
आरे पेळइ चुन्दड ओड़ी मोतियन भांग भरे भरे
आड़ा फिरे नंदलाला मांगत दान दही दही
पत्ता तोड़ी ल कंदम का पीवो छाछ दही दही
ग्वालन तेरी कृपा से मेरे घर दूध दही दही
तेरा दही हैं मिठा तु हैं नार नवी नवी
बाबा नंद से कहुगी अब तेरी बात जाई जाई
राधा कृष्ण को झगड़ो मनसुक दास कहें कहे
आये+++++++++ ध्यान का फुल सड़े सड़े

अरे कहा जाती ग्वालन

अरे कहा जाती ग्वालन, सीर पर माट धरी धरी
आरे मांगे जोबन को दान, नैनो से नीर झरे झरे
मत कर बल जोरी--------
बन के बनवारी, नवरंग धेनु चरे चरे
पकड़ागा तेरी बैया, कंस तेरो क्या हो करें करें
ऐसी मदमाती ग्वालन, बोली ते बात खड़े खड़े
क्यों धाक बतावे, हम तो नहीं डरे डरे
घर जाय कहेग, कान्हा से हम हरे हरे
आये शरण सदाशिव, चरणों में ध्यान धरे धरे

बंसी बजाई जसोदा के बाळा

बंसी बजाई जसोदा के बाळा,
आरे थारी मुरली म हुई बेहाला रे
जाई न कंदब बंसी बजाई, बाल ग्वाल थारी संग म
छे सौ राग छत्तीस रागिणी, थारी मुरली म हुई बेहाला रे
ताना हो बालक रड़ता हो मेला,बालक जमुना पर लाई रे
नंदलाल हटेलो संग हमारी, चुगली खाय घर मोरी रे
कयती हो राधा सुण गिरधारी, मानो तो बात हमारी रे
तुमतो कुबजा से प्रीत लगाओ,कुबजा छे तुमको प्यारी रे
मोर मुकुट सुहाणा लगे, कुंडल झलके कानों में
नरस्यानु स्वामी न अन्तर्यामी, रुडा से रास रमाये रे

मुरली रसीली बजावो श्याम

मुरली रसीली बजावो श्याम जी, राधे राधे पुकारे
जल पर वासुक सर धरे धरती, सत धर्म पर आकाश
चंदा हों सूरज नवलख तारा, पवन का खम्बा लगाया
तीन ताल हरी ने बजाई, स्वर्ग मृत्यु और पाताल
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रमणीक धरती गोकुल बृंदावन, मथुरा में जन्मे हरी
बीच समुद्र में द्वारका बसाई, माया रची करतार रे
द्वारकापूरी में रहे कृष्णजी, रास लीला करें भारी
नरसींग मेहता ध्यान लगाये, साचो मुरली वालो रे

जावा नी दे महाराज बंसी वालो

जावा नी दे महाराज बंसी वालो जावा नी दे महाराज
आड़ी लकड़ी कान्हो दई रयो, मोहन मांगे दज
दान लिया बिन जण नी दे रे, रोकी रयो आड़ी वाट
सिर की मटकी रे वालो भूई म धरावे,मांगे दही को दान
भर भर दोन्या दूध पियो रे, रयो तो दियो डुलकाय
मधुर सी मुरली हमन सुणी रे मोहन, गयरो होय रे आवाज
सांझ सवेरा रोज बजती, थारी मुरली म हुईं बेहाल
नरस्याँनु स्वामी न सावरा रे वाला, रुड़ा रमाया रास
जलम जलम की दासी तुम्हारी, राखो तो लाज हमारी

श्री रघुनाथ जसोदा कन्हैया

श्री रघुनाथ जसोदा कन्हैया, मोहन मुरली बजाई रे
इत गोकुल उत मथुरा नगरी, बिच जमुना चली आई रे
जमुना के नीर तिर धेनु चरावे, मुख से मुरली बजाई रे
बृंदाबन में रास रच्यो हैं, सैसर गोपी नचाई रे
बँसी बजाई न सूद बिसराई, गोपियन गई घबराई रे
एक बाव म पेरी हो अंगिया, न दूजी म पेरण पाई रे
एक नयन गोपी पेरी हो कजरा, दूजी म पेरण पाई रे
नरसींग मेहता कहता हो ऐसा, शोभा वरणी न जाई रे
देव लोक से आए हो देवता, नारद वीणा बजाई रे

कलपे जसोदा भजती नाग को

कलपे जसोदा भजती नाग को, कृष्णजी जल जमुना में कूद पड़े
सैसर फण में भीम बिराजे, बड़े-बड़े सागर नौ खंडा
धन धन वासुक देवता, जेकी गोदी म विष्णु महादेवा हों
नग्र पूरी पैताल बिराजे, नागदेव की कहु लीला रे
आपके मुखसे अग्नि हो बरसे, उड़ता जानवर जलमें गिरे
बड़े बड़े ॠषि मुनी सीस नमता, शिवशंकर के गले में पड़े
आप ही जल में आप ही थल में, सैसर फण आप करे
बड़े बड़े देवता सीर नमता, बृम्हा नारद शीव झुके
आप ही जल में आप ही थल में, सैसर फण नृत्य हुआ
आपकी माया को हमनहीं पाया, नाग नाथी न बाहर आया

दूर खेलण मती जावो मेरे ललना

दूर खेलण मती जावो मेरे ललना, माता यशोदा कहें कान्हा से
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मेवा मिठाई देऊ तेरे मुख में, घुंगरू बांधी देऊ पायन में
इत गोकुल उत मथुरा नगरी, बिच जमुना को दय भारी
उसमे रहता नाग कालिया, जबर जंग कालिया जहरी
जिनके धाक से त्रास पड़त हैं, गोकुल के सब नर नारी
उड़ता जानवर गिरता देह में, उन मुख में अग्नि भारी
ग्वालबाल हरि ने संग लिया हैं,खेलण गए जमुना तट पे
उस गेदन को चोट हो लागी, गेंद गिरी जमुना माहि
गेंद लेने कों दौड़े कृष्णजी, जाई जमुना में कूदे हो

ग्वालबाल सब कहे माता को

मक पुरो भरोसो रे गोकुल

मक पुरो भरोसो रे गोकुल का रयवासी
आरे तुम कब आवोग मेजवान उतारा तुम्री आरती
बाबा पयलो भरोसो रे देवकी वासुदेव क दियो
आसो उन घर लियो आवतार
बाबा दुसरो भरोसो रे यसोदा बाबा नंद क दियो
आसा खेली रया उनकी तो गोद
बाबा तीसरो भरोसो रे नरसिंग मेहता क दियो
आसो मायरो पुरायो भरपूर
बाबा चौथो भरोसो रे द्रोपदा बाई क दियो
आसो चीर पुरायो तत्काल
बाबा पाँचवो भरोसो मीरा बाई क दियो
आसो विष को बणायो अमरीत

कहें माँत उठो मेरे लाल

कहें माँत उठो मेरे लाल की आरती होने लगी
होने लगी रे नंदलाल की आरती होने लगी
निंद्रा त्यागों उठो कन्हैया
उठो कन्हैया मेरे जागो कन्हैया
आयो रे उषा काल
पनघट उपर चली पणिहारी
गड़ गोकुल की वा सुंदर नारी
जेका सीर पर चुन्दड लाल
माता यशोदा हरि क जगाड़
उठो नंदलाल म्हारा बंसी बजाओ
थारी वाट जोव रे ग्वाल बल
राधा रंगेली तुमक बुलाव
मनमोहन म्हारा प्रीतम आव
वो तो जाई रही सरवरी पाल
ब्रिंदाबन म शोर मच्यो हैं
सखी अनसुत घर गयो हैं
वाकी ग्वालन जोई रई वाट
नहाय धोय घर आया पुजारी
गरु रे सिंगाजी दस अवतारी
सिंगाजी की आरती गाव नर नारि
बजे शंख घड़ियाल

जाकी बधावो यशोदा

जाकी बधावो यशोदा माय बधाओ हो बधाओ परि बृम्हा को
सांज सवेरे हो मुरलीया बाज रही
जाकी आव सो नवरंग धेनु
बाबा खेलत खेलत हो गेंद जाय जमुना गीरी
जाकी तड़फ यशोदा माय
बाबा पयत प्याला हो कालो रे नाग़ नाथी लाया
जेकी फण पर नृत्य कराय
बाबा पद्मावती नागेण हो हाथ जोड़ बिनती करे
मोहे आखंड दीजो आवत
थाल भर मोती हो यशोदा मईया लई आई
जिन पल म दियो हो लुटाय
बाबा पान पलासा कपूर की आरती
गुण गाव तो तुलसीदास

मरली रसीली बजवो

मरली रसीली बजवो श्याम जी राधे राधे पुकारे हो
जल पर वासुक सीर धरे धरती
सत धर्म पर आकाश
चंदा हो सूरज नवलख तारा
पवन का खम्बा लगाया हो
तीन ताल हरी न बजाई
स्वर्ग मृत्यु पाताल
रमणीक धरती गोकुल बिंद्रावन
मथुरा में जन्मे हरी
बिच समुद्र में द्वारका बसाई
माया रची करतार
द्वारकापुरी में रहे कृष्णजी
रास लीला करे भारी
नरसिंग मेहता ध्यान लगाए
साचो मुरली वालो र

मुरली मनोहर मोहन माघव

मुरली मनोहर मोहन माघव
ग्वालन गर्व हराया हो
एक समय सारी सगरी ग्वाला
जल जमुना पर जाई
चीर छोड़ कर धर पर धरिया
जमुना में कूदी कूदी नहाये
दपड़ चुपड़ श्री कृष्णजी आये
चीर लिया न चुराई
ले कर चीर कदम पर बैठे
मुख से मुरली बजाई
देवो न चीर हमारो गिरधारी
हम नारी जल में उघड़ी हो
एक एक आवो न चीर लई जावो
हो जावो जल से न्यारी हो
डी
सगरी ग्वालन न कियो मनसूबो
कृष्ण क लेवा मनाई
अधबीच जाई न मथन मथायो
कृष्ण क देवा बहाई हो
झर झर नाव चल रघुनंदन की
ग्वालन रही घबराई हो
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तो भी न जल रुकावे हो
हीण जात हीण मती हो तुम्हारी
रखो लाज हमारी हो
हाथ जोड़ कर शरण तुम्हारी
चरणों में शीश झुकवा हो

प्रथम गाऊ रे गणेश

प्रथम गाऊ रे गणेश न श्री देव धरा
गाऊ म्हारा हरी आवतार प्रभु कृपा हो कर
लाग्यो पोष महीनों रे महाराज देवकी गाईया सोष कर
सोष पोष गर्भवास बालो म्हारो नही रे जीव
लाग्यो माह महीनों रे महाराज मंदिर म बिरोल कर
किनक कहू रे वासुदेव बालो म्हारो रे नहीं रे जीव
लाग्यो फागुन महीनों रे महाराज चंद्र मिरदिंग बाज
मथुरा म उड़ी रयो फाग अबीर गुलाल उड़े
लाग्यो चैत महीनों रे महारज सुमरू हो देवी शारदा
पूतर दीजो एक कलू म थारो नाम चल
लाग्यो वैशाख महीनो रे महाराज धुप जमीन पड़
जेठ महीनो रे महाराज वमस्वति रूप धर
लाग्यो आषाड़ महीनों रे महाराज छोटा मोटा बूंद गीर
बन म बोल मोर पपैया पिहू पिहू कर
लाग्यो श्रावण महिनो रे म्हारा बाला न सपनों हो दियो
धीर धरो देवका माय कंस नीर वंस करा
लाग्यो भादव महीनों रे महाराज केशर पाल धर
अष्ठमी दिन बुधवार कृष्ण अवतार धर

भलो राणी भाग जसोदा हो तेरो

भलो राणी भाग जसोदा हो तेरो, जिन पूत्र ऐसों जायो
गड़ चौरा से आयो हो जोगी, नंद घर अलख जगायो
माता जसोदा बैठी महल में, कंचन थाल भेजायो रे
क्या करु मैया धन दौलत को, क्या करू मॉल खजीना रे
तेरे कान्ह के दर्शन खातिर, ध्यान तजी न जोगी आयो रे
लेवो भिक्षा जाओ जोगी घर आपणा, मै ना बताऊ मेरा बाळा रे
अदभुत रूप देख जोगी को, बाळो मेरो डर जयेगो
ईतनि बात सुणी जोगी ने,आसण दियो लगाई रे
नंद दुवार पर बैठें जोगी, बाळो दियो रोई रे
गोदी धरी न लाई जसोद, कर पल्लव की छाया रे
लक्ष्मीपति के दर्शन करके, शंकर रूप बणायो रे

बिंद्रावन रच्यो हैं रस जो

बिंद्रावन रच्यो हैं रस जो वहा देखण हाउ नी गई
हाउ नी गई रे महाराज सुहागेण सोच रही
कायन पर मूल धरणी रची हैं
कायन रच्यो आकाश
वासुक पर मूल धरणी रची हैं
सत पर रच्यो आकाश
हो कायन की तुन आरती बनाई
कायन का दीपक लगाया
धरती की तुन आरती बनाई
चंदा सूरज का दीपक लगाय
गऊ मुख चारा नी चारिया
आसी बछड़ा बिन बिलखाय
तो गगन मंडल बिच धाम रच्यो
आसो तारा नो छे प्रकाश
गोपियन संग तुन रास रचायो हैं
बिच म रयो रे गोपाल

नहीं देखी बँसी तोरी कन्हैया


नहीं देखी बँसी तोरी कन्हैया, क्यों जबरन चोरी लगायें रे
चार सखि मिल पाणी गई थीं, जमुना घाट पर भीड़ भारी
ग्वाल बाल तेरे संग अनेकों, खेल म बँसी गवाई हों
सोलह सिंगार सजी सब सखियाँ, सिर पर मटकी जल भरी
वाट में तु क्यों रोके हों छलिया, गीर गई बँसी तुम्हारी
तेरे सरीके हम नहीं मोहन माखन चोरी न खायमे
कहा लग तुमको कहें समझाई, तुझे लाज नहीं आई रे
गले मुतियन की माला हो चमके कानों में कुंडल झलके
नरस्यानु स्वामी न अंतरयामी, रूडा रास रमाई र

अवतार लियो हे दस अवतार धरे धर

अवतार लियो हे दस अवतार धरे धरे
सब बाल गुवालिया गेंद को ख्याल खेले खेले
लगी गेंद को चोट काला दई में गिरे गिरे
आरे पैताल पधारे वासुक नाग खड़े खड़े
नागिन नाग को जगावे दो घड़ी युद्ध लड़े लड़े
आरे हाट माड़ीयो रे बाला घर तेरी माता रोवे रोवे
आरे म्हारा नाथ छे जहरी काट ते खून झरे झरे
आरे कृष्ण रोस भरे हैं नाग को नाथ दिए दिए
आरे दिना नाथ पैराइ फण पर नृत्य करे करे
पदमा कहें कर जोरी बिनती म ध्यान धरे धरे
एसी माया लगाई प्रेम का फुल झरे झरे
हाउ तो चरण की दासी हम पर महेर करे करे

वरजों जसोदा अपने कान्हा

वरजों जसोदा अपने कान्हा को हमसे कर बलजोरी
दही मेरो खायो न मटकी फोड़ी, मथुरा घाट पर घेरी
जल जमुना जल भरण गई थीं, पीछ सी आयो मुरारी
नदी जमुना पर न्हावण गई थीं, चीर लिया न चुराई
लेकर चीर कदम्ब पर बैठे, तिरिया जल म उंघाड़ी रही
कहती राधा सुनो गिरधारी, मानो तो बात हमारी
गोकुल गाँव का लोग हसत हैं, हसे मथुरा का नर नारी
लिवो लेवो चीर गोपी तुम्हारा, न हो जावो जल से न्यारी
एक एक आवो न मंगल गावो, गाव संग कृष्ण मुरारी