आरे गोकुल ब्रज की हो नार चले सिंगार करी करी
आरे मथुरा न हटे सीर पर माट भरी भरी
गैय्या चराणो वाळो मुख म बंसी धरी धरी
आरे मन मोहन बंसी मोई ली नार हरी हरी
जमना तीर गयो हो सीर पर माट भरी भरी
आरे चुन्दड मोरी भिंजे दूध की माठ झारी झारी
आवो नंदलाल चाको तो दूध की थरी थरी
आरे लाग्यो बाण मदन को आई हम बाल घेरी घेरी
मन डोल्यो हो म्हारो ऐसो पाप करी करी
आरे ऐसो मदन मुरारी कोई पे दबाव धरी धरी
आरे शरण सदाशिव चरणों में जाय गिरी गिरी
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