चली मथुरा नु हाट सिर उपर मटकी धरे
कोण नगर की हो ग्वालिनी काई है थारो नाम
कोण नगर पायो सासरो
कुण मिल्यो भरतार
बिंद्रा हों बन की ग्वालिनी राधे है म्हारो नाम
गड़ रे गोकुल पायो सासरो
कृष्ण मिल्यो भरतार
कोण नगर को हो ग्वालियो काई है थारो नाम
कोण बाबा घर जन्मीयाँ
किनको हैं तू लाल
गड़ रे गोकुल को हाउ ग्वालियो कृष्ण हैं म्हारो नाम
बाबा हो नन्द घर जन्मीयाँ
यशोदा को है लाल
दूर की उठी रे काळई बदली बिजळा होया रे आकाश
नरस्यानुस्वामी न सावँरा
रुड़ा रास रमाय
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