मरली रसीली बजवो श्याम जी राधे राधे पुकारे हो
जल पर वासुक सीर धरे धरती
सत धर्म पर आकाश
चंदा हो सूरज नवलख तारा
पवन का खम्बा लगाया हो
तीन ताल हरी न बजाई
स्वर्ग मृत्यु पाताल
रमणीक धरती गोकुल बिंद्रावन
मथुरा में जन्मे हरी
बिच समुद्र में द्वारका बसाई
माया रची करतार
द्वारकापुरी में रहे कृष्णजी
रास लीला करे भारी
नरसिंग मेहता ध्यान लगाए
साचो मुरली वालो र
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