Sunday, 5 January 2014

बाल चरित्र परम सुख पाया

बाल चरित्र परम सुख पाया सुणत संत लव लागी रे
एक दिन भवन के अंदर दाऊ किशन दोनों सोया रे
देखा चरित्र भोर गगन में बिलख बिलख कर रोया रे
बिलखत बालो कलपे जसोदा नैनो में नीर कसा आया रे
जब रे जसोदा गोद उठाया आंग को पै न पिलाया रे
तुमको क्या क्या चाहिए मेरे ललना सो सब देवो बताई रे
ऐसा ख्याल हम नी खेला मैय्या चन्द्र खिलोना चाहिए रे
दर्पण लाई घर के हो आंगणा उसमे चन्द्र बखलाया
जब रघुनंदन हाथ पसारे गगन से चन्द्र तोड़ाया रे
धन धन गोकुल धन बिंद्राबन धन माता देवकी का जाया रे
आज आनंद भयो हो गोकुल में खूब रुसनाई आई रे

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