करम लिखा सो होयगा,
करणा लाख उपाय
तो कोप भवन कैकई सोईया,
राजा गया वोका पास
क्यो राणी तु अनमनी
राम क देवो रे राज
राम की सोगन्ध खाय के,
राजा पुछो फीर बात
राजा ने सोगन्ध खाय के
दिवो दो वरदान
पयलो वर जब मागीयाँ,
भरत क देवो हो राज
दुसरा वर जब मागीयाँ
राम क देवो बनवास
पिता की आज्ञा मान के,
प्रभू बन को सीधारे
भगवा कपड़ा तब धारियाँ
नगरी हुई रे उदास
आगे आगे राम चलत है,
पिछे लक्ष्मण भाई
बीच चल हो माता जानकी
लक्ष्मण है बलवीर
जाई न राम जी ठाढ़ा रयाँ,
जमना पयली हो पार
नाव लाव ड़े तु नावड़ा
आन बेगी पार उतारो
सुरपणखा जब देखियाँ,
राम सी कर अरदास
ब्याव रचाउ थारी संगम
बनु राम की नार
Thursday, 30 January 2014
करम लिखा सो होयगा,
Labels:
सिंगाजी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment