Saturday, 4 January 2014

कलपे जसोदा भजती नाग को

कलपे जसोदा भजती नाग को, कृष्णजी जल जमुना में कूद पड़े
सैसर फण में भीम बिराजे, बड़े-बड़े सागर नौ खंडा
धन धन वासुक देवता, जेकी गोदी म विष्णु महादेवा हों
नग्र पूरी पैताल बिराजे, नागदेव की कहु लीला रे
आपके मुखसे अग्नि हो बरसे, उड़ता जानवर जलमें गिरे
बड़े बड़े ॠषि मुनी सीस नमता, शिवशंकर के गले में पड़े
आप ही जल में आप ही थल में, सैसर फण आप करे
बड़े बड़े देवता सीर नमता, बृम्हा नारद शीव झुके
आप ही जल में आप ही थल में, सैसर फण नृत्य हुआ
आपकी माया को हमनहीं पाया, नाग नाथी न बाहर आया

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