मत कर मान गुमान रे भाई जग में सेवा सुख दाई
ईश्वर का गुड़ समझकर बात बनावणु काई
परभू घट घट की जाणी रया रे
फिर क्यों बात छिपाई
भाड़ा को यो भजन करयो तो मिल्यो डाकू म जाई
झूठो पुन्य बेचकर तू न
झूठो धर्म कमाई
भार भुत या बणी जिन्दगी तुन बिरथा गमाई
जीवन का करतब नि करतो
बणी गई जिन्दगी गंदी
सारा पाप भरयो रे मन म कैसो भजन गाई
ढोल मंजीरा और झांजरी
बिरथा तुन बजाई
अपणा पाप को हिसाब बतईद करील धर्म कमाई
मुफ्त की जो खाई कमाई
दई द पाई पाई
कहें हरिसिंग सुणो रे भाई करो जग म भलाई
दान पुन्य सब करो रे
करी लेवो धर्म कमाई
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