आसी झाकी झाकी न देखू थारी वाट हिरजी म्हारा नहीं आया
आसी किनक कहूँ रे मन की बात हिराजी म्हारा नहीं आया
बयणी म्हारी सब सहेलियाँ घरघर भेला हुया हो
आसी गाव छे मंगलाचार
सखी म्हारी सावन की पूर्णिमा नजीक आई हो
असी राखी बांधूंगा किनका हाथ
बयणी म्हारी बन म झुलाव बन की मोरनी हो
बांगो म बठ कोयल नार
बयणी मन म आसाड़ जो महिना की आस बांधी हो
आसो लाग्यो सावण मास
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