नानी बाई कर रे अरदास टूट रे नश नाड़ी
हाऊ टक टक देखू वाट न डोला फाड़ी
गरीब बाप छे म्हारो मायरो कुण लावसे
म्हारी सासु मारग बोल कटारी न गडसे
म्हारी नणद बुराई न करसे बोल मख कयसे
म्हारो देवर बड़ो खराब बात न कयसे
म्हारो बाप साधू न की साथ बैल नहीं गाड़ी
म्हारी माँय होती तो आज माण्डवा म आवती
म्हारा माथा फेरती हाथ हाल सब कयती
म्हारो भाई हुतो तो संग म भोजई अवती
म्हारो कुंटुब कबीलों संग म बालक लावती
म्हारा हारा माण्डवा कुण पेरावसे साड़ी
म्हारी करुणा सुणी न आया कृष्ण मुरार
लाया संग राधा रुकमणी जगत करतार
सावलिया सेठ बणी आया हुया तैयार
नानी बाई को सवारयो काज लाया बाजार
हाऊ तुक पेराऊ सायो कुवर क साड़ी
मेहता जी भक्त को प्रभु न बड़ायो रे मान
इना चार युग म हुयो रे अम्मर नाम
म्हारो भगत सिंग न गुरु की बड़ाई शान
कलगी को सायो मन बिड़ो न लई ली आण
ठाकुर भीमसिंग लिख पेन क रे गाड़ी
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