जगमत जोत झलक रया मोती, पारीब्रह्म निरंजन आरती
धरती आकाश उमड़ रया बादल, पाँच नाम अमृत का मोती
काहेन को दिवलो न काहेन की बाती, काहेन जोत जले दिनराती
तन को रे दिवलो न मन के री बाती, सोहंग जोत जले दिनराती
कंचन थाल कपूर के री बाती, घीव की होम जले दिनराती
कहे मनरंगजोड़ की या बाती, या आरती तीनों लोक मे रमती
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