Tuesday, 15 November 2022

बैदड़ सोक की कहु रे जगत म, बुरी भई लडाई।

बैदड़ सोक की कहु रे जगत म, बुरी भई लडाई।

आरे पुरब जन्म को बैर रांड वा लेने को आई॥

पहली लुगाई मिली ब्याव म उमर म छोटी ।

करो म्हारो दुसरो ब्याव म्हारा घर दौलत कीनी कम थी।

हितु भाई मिल बैट ज्वान की आकल सला होती।

फेकी नीघा चौ तरफ लड़की मिली उमर म थी मोटी।

प्याराजी लालुच म डाल कर ब्याव कीया था उसका॰

प्याराजी वो नही जाणे पडे रे फजीता घर का॰

करण हार करतार करम म् छटी जो लिखी गई॥

हितु भाई मिल बैठ कमेटी टीप रे लिखवाई ।

जल्दी करो तैयारी हल्दी लगने की घडी आई।

आज करो तैय्यारी काल तुम जात जिमाडो रे।

लगी रही दौडा दोड़ सुंदर को जल्दी लावो ब्याई।

प्याराजी

प्याराजी पियर म खबर होने नही हो पाई॰

पियर जो खबरा पाई रातभर नींद नही आई ॥

बडी फजर परभात हुयो भमसारो न पय फाटी।

माय बाप नकी छोरी सुंदर घर से भागी।

हितु भाई जहाँ बैठ ब्याव की सभा कैसी बैठी।

आवत देखी सुंदर क सब नकी होय भागा भागी।

प्याराजी कहु हाथ जोडी अरदास घडेक ठाडा रहीजो॰

प्याराजी मन काई करयो अपराध मक तुम कईजो॰

ये कहा रे हितु भाई सेज म्हारी नदी म डोबाई रे॥

हाथ जोडी आरदास म्हारा सी काई तुम दुख पाई।

पुरब जन्म को बैर म्हारा पर बैंदड़ को लाई।

बाल पणा संग रया सेज संग धोती पर राजी।

हिया म कुशला को डाव भला दुःख किस दिन बुझ जी

प्यारा जी जो हुयो तो अच्छो हुयो म्हारो काई जायग°

प्यारा जी हाउ उंडा कुआँ की नेज खेची मर जाउंगी°

कसी करवट लई न सुतो रात भर नींद नहीं आई रे

दोनों लुगाई मिलकर जवान की सेज बिछा रही रे

चौतरफा से पकड़ा की अब ज्वान गयो रे घबराई

दिन काटना बहुत सा भाई अब रयो चिवड़ाई

उबी नंदी को तिरणु पार हाऊ मरु जहर खाई

प्यारा जी मैं कहूँ सभी को ब्याव किसी ने नहीं करणा°

प्यारा जी ब्याव की जो लालुच करता पड़ता फजीता

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