आसाड़ महिना की जिगर दोस्त होण बहोत बुरी हुई रे
सातत्व दिन सोमवार नरबदा म नाँव दुँबी गई रे
दूर दूर का आया मुसाफिर काळ घटा छाई
भरी नांव का बिच म कईकीरांड कपटेण बठी गई रे
अवंधी की संवधि चल हवा न कभी जोर की चली रे
टूटी गया नांव का खम्ब नांव गर्र्यी न बठी गई रे
तिस लड़का धामनोद का डूबी गया न चार की बुरी हुई रे
नत्थू पटेल गोपाल संग म नथी कारेण डूबी गई रे
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