रंग म करी मक गीली कन्हैया न
भिंजी म्हारा तन की चोली कन्हैया
पाणी लेवा गई हाऊ जमुना को घाट
सखीयन ना थी रे म्हारी संगात
सकड़ी गलीयन म घेरी
सिर पर घड़ा घड़ीयन म्हारा हाथ
बार-बार मार कानो रंग गुलाल
म्हारी सासु नंदन दे गालई
संग लायो कानो ग्वाल और बाळ
सोला सौ गोपी न हुई रे हैराण
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