Thursday, 10 November 2022

रंग म करी मक गीली कन्हैया न

रंग म करी मक गीली कन्हैया न

भिंजी म्हारा तन की चोली कन्हैया

पाणी लेवा गई हाऊ जमुना को घाट

सखीयन ना थी रे म्हारी संगात

सकड़ी गलीयन म घेरी

सिर पर घड़ा घड़ीयन म्हारा हाथ

बार-बार मार कानो रंग गुलाल

म्हारी सासु नंदन दे गालई

संग लायो कानो ग्वाल और बाळ

सोला सौ गोपी न हुई रे हैराण

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