चतुर क मारियो रे मुरख तुन नहीं करी रे पईचाण
श्रवण अपणा मात पीता क लई तीरथ को जाता रे
मात पीता को त्रासा लागी, अरे वो पाणी लेण क जाय
राजा दशरथ न बाण चड़ाया बैठ्या सरवरी पाळा रे
जळ म तुमड़ी डूबवण लागी अरे उन खैची मारीयो रे बाण
श्रवण की आवाज सुणी न आया ओका पासा रे
देखि न मन घबराई गयो रे, अरे तुन काई क मारीयो बाण
राजा दशरथ तुम सुणी लेवो रे तुमक देंवा श्रापा रे
लाल बिरो म्हारो तड़फ रयो है, अरे म्हारा मन म लगई आग
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