Monday, 21 November 2022

हिरा हेत मनावा आओ म्हारा गणपति देवता

 हिरा हेत मनावा आओ म्हारा गणपति देवता

निरमळ नीर गवरा नाहवती अंग मैल उतारे

जाको पुतलो बनाविया

मुख अमरीत रालो

गणपति बणाय के दरवाजे पे ठाड़ी

माता निरंजन नाहवती

कोई अवण नी पावे

शिवजी जब आविया दे दरवाजे पे रोखी

माता हमारी नाहवति 

तोहे जाण नी देवा

शिव जी क्रोध जब आविया सीर धड़ सी उड़ाया

गवरा ने सुण पाविया

सीर धड़ से लगाओ

शीव जी जब सीर ढुडीया चवरा फिरि आया

तीन लोक सीर ना मिले

गऊ को सीर लगायो

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