Sunday, 13 November 2022

जबरदेव ओंकार मेला लगता है कई पूंनम का

जबरदेव ओंकार मेला लगता है कई पूंनम का

लगे सामने हटड़ी तमाशा देखो रे उस नगरी का

चार खम्ब का देवळ बणाया न उपर कळस सोने का

धवळई ध्वजा उड़ रही नगाड़ा बज रया भोले सम्भु का

आर नर्बदा न पार कावेरी न बिच में हो मंदर भोले का 

गरीब लोग तो पार उतरता पैसा लगता राजा का

कौरव दल सगरा आया न मन्दता में मदत करे

भीम अर्जुन दोनों आये न मंदर का मुख फेर दिया

कोड़या क तो कोड़ फुटिगो न हाथ पाव ओका गळई गया

अब का जमाना ऐसा रे आया बाप को बेटा मार रया

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