छोरा रंगरेज का रंगई रंगई न घर लाओ राधेबाई जी की चुन्दडीयाँ
चुन्दडीयाँ रे वाला चुन्दडीयाँ
सब सखीयन में राधे जी सईया
अरे नन्दलाल ने पकड़ी मोरी बईया
अरे असी तड़क रही सोवन चूड़िया
या चुन्दड मोरे मन भाई
सभा मंडप में घटा छाई
कड़ कड़ चमके बिजलियाँ
मोर मुकुट की शोभा न्यारी
पेरी पीतांबर जरी दारी
थारा चरण कमल की बलिहारी
नरस्यानुस्वामी न अन्तर्यामी
अरे वो असी रुडा से रास रमाई
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