तेरो कान अलवारी हो जसोदा
म्हारी राधे पे अखीयाँ मारी हो जसोदा
भरी पिचकारी मोरी राधे पे मारी
हा वो असी चुनरी भिगोई सारी हो
जल जमुना पाणी हाऊ गई थी
हा वो असो पीछे से कंकर मारी हो
माखन मिश्री को वालो चोरी चोरी खावे
हा वो असी दहीया की की मटकी फोड़ी हो
बिन्द्रा जो बन म रास रच्यो हैं
हा वो असी १६ सो गोपीया नाचे हो
मीरा बाई के रे प्रभू गिरधर नागर
हा वो असा हरणा हरक गुण गाव हो
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