Monday, 17 February 2014

है रे काना एक वारी गली म्हारी

है रे काना एक वारी गली म्हारी आईजा
थारी बन्सी की धुन सुणाईजा
मोर मुकूट सिर छत्र विराजे(मोहन)
थारा कुन्डल की झलक दिखळईजा
बिन्द्रा जो बन म कानो रास रचावे
थारी राधा को मन समझाईजा
जमना कीनारे कानो धेनू चरावे
गुवाल बाल न क गेद खेलईजा
नरस्यानु स्वामी न,अंतरयामी
जमना तट प रास रचाईया

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