बैठ पयाल उड़ाया राम को, जरा सुद
हई रावण न सुरुंग लगाई, रामा दल म आयो
राम रे लक्ष्मण सोया भुमी पर, जरा आल नही आई रे
पय फाट्यो रे सुरीजमल उज्यो, राम नजर नही आयो
बड़ा जोधा कर रखवाली, जरा भेद नही पायो
हनुमान जोधा ऐसा रे करीया, दुम का रे कोट बणाया
चन्दा हो सुरज धर धर कापे, धरती न रस्तो बतायो
जब रे हनुमान चल्या लेणक, गीद न शब्द सुणायो
दो रे मुसाफीर का मांस लावजो, जिनकी देवी क चड़ावो
मगरधज और हनुमान का, युद्ध हुआ रे बड़ा भारी
मगरधज को मार घीसेटीयो, जिनको मुसक चड़ायो
जब रे हनुमान चल्या पयताळ, देवी का मंदिर जावे
नल्यो गल्यो रे सब कोई खावे, मंदिर काग उड़ायो
हई रावण ने कड़क उड़ाई, सुमरो श्री जन हारी
धीरसी लक्ष्मण ऐसा रे कैता, हनुमान लेता छोड़ाई
Monday, 17 February 2014
बैठ पयाल उड़ाया राम को
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