कोई नी मिल्यो म्हारा देश को,
हारे केक कहूँ म्हारा मन की
देश पति चल देश को,
हारे उने धाम लखायाँ
चिन्ता डाँकन सर्पनी
काट हुंडी लाया
मन को चहु दिशा छोड़ दे,
साहेब ढूँढी कावे
ढूँढे तो हरि ना मिले
हारे घट में लव लावे
लाल कहू लाली नही,
जरदा भी नाही
रुप कहु तो हैं नही
हारे व्यापक सब माही
पाणी पवन सा पतला,
जैसे सुर्या को धाम
जैसे चंदा की हो चाँदनी
हारे साई हैं मेरो राम
पाव धरन को जगह नाही,
हारे मानो मत मानो
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