कहा तक तोहे समझाऊ,
मन म्हारा
हाथी होय तो तोहे शाकल मंगाऊ,
पाव म जंजीर डलाऊ
लई हो मऊत थारा सिर पर डालू
दईदई अकुंश चलाऊ
लोहा होय तो तोहे घमण मंगाऊ,
उपर घमण चलाऊ
लई रे हथौड़ी जाको पत्र मिलाऊ
जंतर तार चलाऊ
सोना होय तो सुहागी मंगाऊ,
कयड़ा ताव तपाऊ
तुन हो फुक मारी म्हारा तन की
कर गला नीर पाणी
घोड़ होय तो लगाम मंगाऊ,
उपर झीण कसाऊ
चैड़ पैगड़ा ऊपर बैठू
आन चाबुक दई न चलाऊ
ग्यानी होय तो ज्ञान बताऊ,
ज्ञान की बात सुणाऊ
कहत कबीरा धर्मराज से
आड़ ज्ञानी से आङू
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