राम भरोसे हम रया, कछु खबरा नी पाया
रघुवीर गया हो शिकार को, संग में लक्ष्मण भाई
आठ पहर भटकता रहा, संज्ञा हुई घर आया
चित्रकुट के घाट पर, स्वामी मड़ीयाँ बनाई
सुख सम्पन अन्नद भयो, वहा वन फल हो खाया
गढ़ से रावण आवीयाँ, आरे आया सीता द्वार
भिक्षा देवो वो सीता सुन्दरी, हम जोगी हो आया
थारा म्हारा बिच राम रेखा है, भिक्षा नही देवा जोगी
जब रे आवे राम लक्ष्मणा, भिक्षा तोहे वो देवा
आड़ी हो पटरिया डाल के,, भीक्षा देवो हो माही
कब रे आवग राम लक्ष्मणा, मोहे होवे रे देर
आड़ी हो पटरी डाल के, भीक्षा देती हो माही
जोगी ने रुप बदल हो लियाँ, लईगो लंका के माही
वन से राम जब आवियाँ, सुनी मड़ीया हो पाई
राम कहे रे लक्ष्मण से, बाहर देखो रे भाई
एक लकड़ीयाँ नाही जले, नाही होवे रे उजाला
राम न धनुष चड़ाईयाँ, तब होवे रे उजाला
रघुवीर गया हो शिकार को, संग में लक्ष्मण भाई
आठ पहर भटकता रहा, संज्ञा हुई घर आया
चित्रकुट के घाट पर, स्वामी मड़ीयाँ बनाई
सुख सम्पन अन्नद भयो, वहा वन फल हो खाया
गढ़ से रावण आवीयाँ, आरे आया सीता द्वार
भिक्षा देवो वो सीता सुन्दरी, हम जोगी हो आया
थारा म्हारा बिच राम रेखा है, भिक्षा नही देवा जोगी
जब रे आवे राम लक्ष्मणा, भिक्षा तोहे वो देवा
आड़ी हो पटरिया डाल के,, भीक्षा देवो हो माही
कब रे आवग राम लक्ष्मणा, मोहे होवे रे देर
आड़ी हो पटरी डाल के, भीक्षा देती हो माही
जोगी ने रुप बदल हो लियाँ, लईगो लंका के माही
वन से राम जब आवियाँ, सुनी मड़ीया हो पाई
राम कहे रे लक्ष्मण से, बाहर देखो रे भाई
एक लकड़ीयाँ नाही जले, नाही होवे रे उजाला
राम न धनुष चड़ाईयाँ, तब होवे रे उजाला
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