सीता राम सुमर लेवो, तजी देवो सब काम
सपना की संपत भई, बाधो रे जगराजभोर भई उठ जागीयाँ, जीनका कोण हवाल
बीगर पंख को सोकटो, उडी चलीयो रे आकाश
रंग रुप वोको कछु नही, वक भुख नी प्यास
वायो सोनो नही उपजे, मोती लग्या रे डाल
भाग बिना नही मीले, तपसंया बीन हो राज
राजा दशरथ की अयोध्या, लक्ष्मण बलवीरा
माता जीनकी हो कोशल्याँ, जीन जल्मीयाँ रघुबीरा
अनहद बाजा हो बाजीया, सतगुरु दरबार
सेन भगत जा की बिनती, राखो चरण आधार
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