राणी सुभद्रा कहे समझाय समर म मत जावो
मत जावो न प्राण आधार समर म मत जावो
हाथ जोड़ी बिनती करे, अन सुणो वीर भरतार
न्यू की रचना रची न गुरु है द्रोणाचार्य
वहा बल बुद्धी का रे अपार
उमर भी नादान है और कौरव बड़ा बतकार
न्यू की रचना बड़ी कठीन है पिया कैसे पावोगे पार
ना संग म किसी को आधार
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