आवजो आवजो रे नंदजी का लाल गोकूल जरा आवजो
मत जावो रे कुबजा द्वार गोकूल जरा आवजो
जब से ब्रज में तुम आये, छाई खुशी अपार
बाबा नंद को इःख हरयो, हरयो भूमी को भार
= तुम निरधन का रे आधार
कुबजा दासी कंस की, मोह लियो घनश्याम
दासी पर राजी हुया, धन धन श्री भगवान
= याद कर थारी यशोदा माय
प्यासी ब्रज की ग्वालणी, तरसे जमुना को निर
ग्वाल बल तरसे घणा, गईया धरे न धीर
= तुम प्रेम की सुणजो पुकार रे
बाबा नन्द को लड़ीलो, माया बड़ी अपार
भक्ति से मोहबत करे, मुरख करे विचार
= प्रभु राखो ते चरण आधार रे
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