Monday, 17 February 2014

चलो मनवा रे जहाँ जाइयो

चलो मनवा रे जहाँ जाइयो,
संतन का द्वारा
प्रेम जल नीरबाण है
आरे छोटी जायगा निवासी
मन लोभी मन लालची,
मन चंचल चोर
मन का भरोसाँ नही चलीये
पल पल मे हो रोवे
मन का भरोसाँ कछु नाही,
मन हो अदभुता
लई जायगा दरियाव मे
आरे दई दे गरे गोता
मन हाथी को बस मे करे,
मोत है रे संगाता
अकल बिचारी क्या हो करे
अंकुश मारण हारा
सतगुरु धोबी है,
साब सिरीजन हार
धर्म शिला पर धोय के
मन उजला हो कर लो

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