माय चली कैलाश को
आरे कोई लेवो रे मनाय
पयलो संदेशो
उनकी छोरी न क दिजो
आरे दूजा का लोग
तिसरो संदेशो
उनका छोरा न क दिजो
चवथो साजन को लोग
हरा निला वास को डोलो सजावो
उड़े अबिर गुलाल
कुटुंब कबिलो सब रोई रोई मनाव
आरे मुख मोड़ी चली माय
बारह बोरी की उनकी पंगत देवो
आरे उनकी होय जय जयकार
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