जन्म दियो रे हरी नाम ने,
आरे खुब माया लगाई
मृत्यु की माया आवीया,
सब छोड़ी रे आस
जम आया रे भाई पावणा
आन मारे सोटा को मार
रोवता बालक तुम न छोड़ीयाँ,
आरे माथा नई फेरीयो हाथ
दुःशमन सरीका हो देखता
झुरणा दई हो जाय
बारह दिन जन्मी सती,
पुरण जन्म की भक्ति
जेम धरम से हो तु भया
कैसा उतरा हो पार
कोप किया रे मन माही,
घरघर आसु बहावे
हंसा की पंछी नही आवे
हस्ता बोलता पंछी उड़ी गया,
मुरख रयो पछताय
झान मीरदिंग घर बाजी रया
सिंग बाजे द्वार
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